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(ग) अकर्मक क्रियाएँ
णच्च = नाचना,
सय = सोना
वर्तमान कृदन्त के प्रत्यय
णच्च
सय
माण
ससा
णच्चन्त = नाचता हुआ सयन्त = सोता हुआ
णच्चमाण = नाचता हुआ सयमाण = सोता हुआ (1) वाक्यों में प्रयोग- विशेष्य : स्त्रीलिंग, एकवचन, प्रथमा विभक्ति (कर्ताकारक)
(सभी कालों में) (नोट - सर्वप्रथम कृदन्त का स्त्रीलिंग बनाना चाहिए। 'आ' प्रत्यय जोड़ें -
(णच्चन्ता, सयन्ता, णच्चमाणा, सयमाणा) अब इसके रूप 'कहा' की तरह चलेंगे।)
(वर्तमानकाल) थक्कइ/आदि = बहिन नाचती हुई थकती है।
(विधि एवं आज्ञा) णच्चन्ता/णच्चन्त
= बहिन नाचती हुई थके। णच्चमाणा/णच्चमाण
(भूतकाल-भूत कृदन्त)
थक्किआ/थक्किअ = बहिन नाचती हुई थकी। सस
(भविष्यत्काल)
थक्केसइ/आदि = बहिन नाचती हुई थकेगी। (2) वाक्यों में प्रयोग - विशेष्य : स्त्रीलिंग, बहुवचन, प्रथमा विभक्ति (कर्ताकारक)
(सभी कालों में) (नोट - सर्वप्रथम वर्तमान कृदन्त का स्त्रीलिंग बनाना चाहिए। 'आ' प्रत्यय जोडें
(णच्चन्ता, सयन्ता; णच्चमाणा, सयमाणा) अब इसके रूप 'कहा' की तरह चलेंगे।)
थक्कउ
पन्त
अपभ्रंश रचना सौरभ
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