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पाठ 32
अभ्यास निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए - (क) - (1) मेघ गरजते हैं। (2) वस्त्र सूखता है। (3) रत्न शोभता है। (4) अपयश फैलता है। (5) अग्नि जलती है। (6) पिता उठता है। (7) पुस्तक नष्ट होती है। (8) मित्र प्रयास करता है। (9) रघुनन्दन प्रसन्न होता है। (10) कुत्ता भौंकता है। (11) पुत्र काँपता है। (12) घर गिरता है। (13) मनुष्य बूढ़े होते हैं। (14) गर्व गलता है। (15) दादा थकता है। (16) व्रत शोभते हैं। (17) ऊँट नाचते हैं। (18) सूर्य उगता है। (19) राक्षस डरते हैं। (20) सिंह बैठते हैं। (ख) - (1) मामा उठे। (2) पोता घूमे। (3) गर्व नष्ट हो। (4) बालक खेलें। (5) राक्षस मरें। (6) दुक्ख गलें। (7) शास्त्र शोभे। (8) मित्र खुश हो। (9) समुद्र फैले। (10) पुत्र जीवे। (ग) - (1) अग्नि जलेगी। (2) शास्त्र नष्ट होंगे। (3) सर्प उड़ेंगे। (4) रघुनन्दन प्रसन्न होंगे। (5) संसार नष्ट होगा। (6) राक्षस मूच्छित होंगे। (7) बालक रूसेगा। (8) मनुष्य प्रयास करेंगे। (9) मकान गिरेंगे। (10) कुआ सूखेगा। निम्नलिखित वर्तमानकालिक वाक्यों को शुद्ध कीजिये (कर्ता के अनुसार क्रिया लगाइये) - (1)कुक्कुरु बुक्कन्ति। (2) गंथो नस्सन्ते। (3) णरु कंदन्ति। (4) दुक्खु तुट्टन्ति। (5) करहो थक्कन्ति । (6) माउलु थक्कहिं । निम्नलिखित विधि एवं आज्ञावाचक वाक्यों को शुद्ध कीजिए (कर्ता के अनुसार क्रिया लगाइए) - (1) ससुरो उठ्ठन्तु। (2) दिअरु णच्चन्तु। (3) परमेसरो हरिसेन्तु। (4) हणुवन्तो बइसन्तु। (5) सीहु पलान्तु। (6) कयंतो होन्तु। निम्नलिखित रिक्त स्थानों की निर्देशानुसार पूर्ति कीजिये (कर्ता के अनुसार क्रिया लगाइये) - (1) मेह .......... (पसर-भविष्यत्काल में)।
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अपभ्रंश रचना सौरभ
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