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पाठ 19 सर्वनाम
मध्यम पुरुष एकवचन
तुहुं = तुम अकर्मक क्रियाएँ
हस = हँसना, रूस = रूसना, जीव = जीना
सय = सोना, लुक्क = छिपना,
णच्च = नाचना जग्ग = जागना
भविष्यत्काल
हसेसहि/हसेससि/हसिहिहि/हसिहिसि = तुम हँसोगे। सयेसहि/सयेससि/सयिहिहि/सयिहिसि = तुम सोवोगे। णच्चेसहि/णच्चेससि/गच्चिहिहि/णच्चिहिसि
___= तुम नाचोगे। रूसेसहि/रूसेससि/रूसिहिहि/रूसिहिसि = तुम रूसोगे। लुक्केसहि/लुक्केससि/लुक्किहिहि/लुक्किहिसि = तुम छिपोगे। जग्गेसहि/जग्गेससि/जग्गिहिहि/जग्गिहिसि = तुम जागोगे। जीवेसहि/जीवेससि/जीविहिहि/जीविहिसि तुम जीवोगे।
तुहुं = तुम, मध्यम पुरुष एकवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम)। भविष्यत्काल के मध्यम पुरुष एकवचन में 'स' और 'हि' प्रत्यय क्रिया में जोड़ने के पश्चात् वर्तमानकाल के मध्यम पुरुष एकवचन के प्रत्यय 'हि' और 'सि' जोड़ दिये जाते हैं। 'से' प्रत्यय जोड़कर भी रूप बना लेने चाहिये (हसेससे, हसिहिसे)। 'स' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' हो जाता है और 'हि' प्रत्यय जोड़ने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है। भविष्यत्काल बनाने के लिये वर्तमानकालिक प्रत्ययों का प्रयोग उपर्युक्त प्रकार से किया जाता है। उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं।
अपभ्रंश रचना सौरभ
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