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पाठ 18
सर्वनाम
उत्तम पुरुष एकवचन
हउं = मैं अकर्मक क्रियाएँ
हस = हँसना, रूस = रूसना, जीव = जीना
णच्च = नाचना
सय = सोना, लुक्क = छिपना,
जग्ग = जागना
भविष्यत्काल
Fal. a.a.all...
हसेसउं/हसेसमि/हसिहिउं/हसिहिमि = मैं हँसूंगा/मैं हँसूंगी। सयेसउं/सयेसमि/सयिहिउं/सयिहिमि = मैं सोनूंगा/मैं सोचूँगी। णच्चेसउं/णच्चेसमि/णच्चिहिउं/णच्चिहिमि = मैं नाचूँगा/मैं नाचूँगी। रूसेसउं/रूसेसमि/रूसिहिउं/रूसिहिमि = मैं रूसूंगा/मैं रूसूंगी। लुक्केसउं/लुक्केसमि/लुक्किहिउं/लुक्किहिमि = मैं छिपूँगा/मैं छिपूँगी। जग्गेसउं/जग्गेसमि/जग्गिहिउं/जग्गिहिमि = मैं जागूंगा/मैं जानूंगी। जीवेसउं/जीवेसमि/जीविहिउं/जीविहिमि = मैं जीयूँगा/मैं जीयूँगी।
हउं = मैं, उत्तम पुरुष एकवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम)। भविष्यत्काल के उत्तम पुरुष एकवचन में 'स' और 'हि' प्रत्यय क्रिया में जोड़ने के पश्चात् वर्तमानकाल के उत्तम पुरुष एकवचन के प्रत्यय 'उं' और 'मि' जोड़ दिये जाते हैं। 'स' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' हो जाता है और 'हि' प्रत्यय जोड़ने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है। भविष्यत्काल बनाने के लिये वर्तमानकालिक प्रत्ययों का प्रयोग उपर्युक्त प्रकार से किया जाता है। उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। इनमें कर्ता 'हउं' के अनुसार क्रियाओं के पुरुष
और वचन हैं। यहाँ 'हां' उत्तम पुरुष एकवचन में है, तो क्रियाएँ भी उत्तम पुरुष एकवचन में हैं।
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अपभ्रंश रचना सौरभ
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