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पाठ 4
सर्वनाम-एकवचन
आकारान्त आदि क्रियाएँ तुहं = तुम, सो = वह (पुरुष),
सा = वह (स्त्री)
हडं = मैं, अकर्मक क्रियाएँ ठा = ठहरना,
हा = नहाना,
हो = होना
AAKAARAYAN
ठाउं/ठामि एहाउं/ण्हामि होउं/होमि ठाहि/ठासि ण्हाहि/हासि होहि/होसि ठाइ
वर्तमानकाल
= मैं ठहरता हूँ / ठहरती हूँ। = मैं नहाता हूँ / नहाती हूँ। = मैं होता हूँ / होती हूँ। = तुम ठहरते हो / ठहरती हो। = तुम नहाते हो / नहाती हो। = तुम होते हो / होती हो। = वह ठहरता है। = वह ठहरती है।
वह नहाता है। = वह नहाती है। = वह होता है। = वह होती है।
ठाइ
पहाइ
ण्हाइ
हो
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हउं = मैं, उत्तम पुरुष एकवचन तुहुं = तुम, मध्यम पुरुष एकवचन पुरुष वाचक सर्वनाम सो = वह (पुरुष)
एकवचन अन्य पुरुष एकवचन सा = वह (स्त्री) 5 अकारान्त क्रियाओं को छोड़कर आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं के मध्यम पुरुष एकवचन में 'से' प्रत्यय नहीं लगता है तथा इसी प्रकार अन्य पुरुष एकवचन में 'ए' प्रत्यय नहीं लगता है। ये दोनों प्रत्यय (से और ए) केवल वर्तमानकाल की अकारान्त क्रियाओं में ही लगते हैं। उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं।
अपभ्रंश रचना सौरभ
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