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________________ पाठ 3 अन्य पुरुष एकवचन बन सर्वनाम सो = वह (पुरुष), सा = वह (स्त्री) अकर्मक क्रियाएँ हस = हँसना, सय = सोना, रूस = रूसना, लुक्क = छिपना, जीव = जीना वर्तमानकाल णच्च = नाचना जग्ग = जागना + = Photo _E_ER FEEEEEEE हसइ/हसेइ/हसए हसइ/हसेइ/हसए सयइ/सयेइ/सयए सयइ/सयेइ/सयए णच्चइ/णच्चेइ/णच्चए णच्चइ/णच्चेइ/णच्चए रूसइ/रूसेइ/रूसए रूसइ/रूसेइ/ल्सए लुक्कइ/लुक्केइ/लुक्कए लुक्कइ/लुक्केइ/लुक्कए जग्गइ/जग्गेइ/जग्गए जग्गइ/जग्गेइ/जग्गए जीवइ/जीवेइ/जीवए जीवइ/जीवेइ जीवए = वह हँसता है। = वह हँसती है। वह सोता है। = वह सोती है। = वह नाचता है। वह नाचती है। = वह रूसता है। = वह रूसती है। = वह छिपता है। = वह छिपती है। = वह जागता है। = वह जागती है। = वह जीता है। = वह जीती है। सो = वह (पुरुष), सा = वह (स्त्री), अन्य पुरुष एकवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम) (क) वर्तमान काल के अन्य पुरुष एकवचन में 'इ' और 'ए' प्रत्यय क्रिया में लगते हैं। 'इ' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है। (ख) 'ए' प्रत्यय अकारान्त क्रियाओं में ही लगता है। आकारान्त, ओकारान्त, उकारान्त क्रियाओं में 'ए' प्रत्यय नहीं लगेगा। ठा = ठहरना, हो = होना, हु = होना आदि क्रियाओं में 'ए' प्रत्यय वर्तमान काल में नहीं लगेगा (देखें पाठ 4)। उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। 3. अपभ्रंश रचना सौरभ सौरभ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002687
Book TitleApbhramsa Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages246
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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