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प्रत्यय
नोट - क्रियाओं में प्रेरणार्थक के प्रत्यय जोड़ने के पश्चात् कालों के प्रत्यय जोड़ने से विभिन्न
कालों के प्रेरणार्थक रूप बन जाते हैं। जैसे - हासइ = हँसाता है, हसावइ = हँसाता
है (वर्तमानकाल अन्य पुरुष एकवचन) (ख) कर्मवाच्य और भाववाच्य के प्रेरणार्थक प्रत्यय आवि, 0 क्रियाएँ
आवि हस = हँसना हस+आवि = हसावि हस+0 % हास
(उपान्त्य 'अ' का 'आ' हो जाता है) कर = करना कर+आवि = करावि कर+0 = कार
(उपान्त्य 'अ' का 'आ' हो जाता है)
लुक्क = छिपना लुक्क+आवि = लुक्कावि
लुक्क+0 = लुक्क
भिड = भिडना
भिड+आवि = भिडावि
भिड+0 = भिड
रूस रूसना
रूस+आवि = रूसावि
रूस+0 = रूस
ठा = ठहरना
ठा+आवि = ठाआवि
ठा+0 = ठा
नोट - क्रियाओं में प्रेरणार्थक के प्रत्यय जोड़ने के पश्चात् कर्मवाच्य-भाववाच्य के प्रत्यय
जोड़े जाते हैं। करावि +इज्ज/इय = कराविज्ज/कराविय = करवाया जाना रूसावि +इज्ज/इय = रूसाविज्ज/रूसाविय = रुसाया जाना कार + इज्ज/इय = कारिज्ज/कारिय
= करवाया जाना रूस + इज्ज/इय - रूसिज्ज/रूसिय
= रुसाया जाना ठा + इज्ज/इय = ठाइज्ज/ठाइय
= ठहराया जाना
इसके पश्चात् काल-बोधक प्रत्यय लगाये जाते हैं। जैसे - कराविज्जइ, करावियइ, कराविज्जइ, करावियहि, कराविज्जउं, करावियउं आदि। अपभ्रंश रचना सौरभ
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