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कर्मवाच्य वर्तमानकाल एकवचन
कर्ता-तृतीया
कर्म-प्रथमा
क्रिया-परिवर्तित कर्म के अनुसार
साई
कोकिज्जउं/कोकियउं/ = साधु के द्वारा मैं आदि
बुलाया जाता हूँ।
साहूं
साहुएं
कोकिज्जहि/कोकियहि/ = साधु के द्वारा तुम आदि
बुलाए जाते हो।
साहूएं
साहुण
सो/सा
साहूण
कोकिज्जइ/कोकियइ/ = साधु के द्वारा वह आदि
बुलाया जाता है/ बुलाई जाती है।
साहुणं
कहा/कह
सुणिज्जइ/सुणियइ/ आदि
= साधु के द्वारा कथा
सुनी जाती है।
साहूणं
अपभ्रंश रचना सौरभ
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