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पाठ 52 सकर्मक क्रियाएँ
अभ्यास
निम्नलिखित सकर्मक क्रियाओं को कर्तृवाच्य में प्रयोग कीजिए। यह प्रयोग वर्तमानकाल, भविष्यत्काल तथा विधि एवं आज्ञा में हो। कर्ता के स्थान पर पुरुषवाचक सर्वनाम का प्रयोग कीजिए। अच्च = पूजा करना,
गरह = निन्दा करना रोक्क = रोकना,
गवेस = खोज करना उग्घाड = खोलना, प्रकट करना,
घाल = डालना उपकर = उपकार करना,
चक्ख = चखना उप्पाड = उपाड़ना, उन्मूलन करना,
चप्प = चबाना कट्ट = काटना,
चिण = चुनना कलंक = कलंकित करना,
चोप्पड = स्निग्ध करना कुट्ट = कूटना,
छंड = छोड़ना कोक = बुलाना,
छल = ठगना खण = खोदना,
छुअ = स्पर्श करना छोड = छोड़ना,
देख = देखना छोल्ल = छीलना,
धो = धोना जिम = जीमना,
पीस = पीसना ढक्क = ढकना,
पुक्कर = पुकारना तोड = तोड़ना,
फाड = फाड़ना निम्नलिखित वाक्यों की अपभ्रंश में रचना कीजिए - (क)(1) पिता पुत्र की निन्दा करता है। (2) दादा पोते को बुलाता है। (3) परमेश्वर संसार को देखता है। (4) देवर वस्त्र धोता है। (5) राजा गर्व को छोड़े। (6) मित्र उसको पुकारे। (7) राम परमेश्वर की पूजा करे। (8) कुत्ता राक्षस को रोकता है।
2.
अपभ्रंश रचना सौरभ
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