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________________ सर्वनाम शब्द द्वितीया एकवचन 4) 3. IEEEE पइं/तइं पणमउं/आदि = मैं तुमको प्रणाम करता हूँ। मई . पालहि/आदि ___ = तुम मुझको पालते हो। तं जाणइ/आदि. = वह उस(पुरुष) को जानता है। जाणइ/आदि ___= वह उस (स्त्री) को जानती है। रक्खइ/आदि ___वह उस (राज्य) की रक्षा करता है। शा. 2. 1. (1) अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों से द्वितीया एकवचन बनाने के लिए '0', 0•आ, उ प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे - नरिंद, नरिंदा, नरिंदु। (2) अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों से द्वितीया एकवचन बनाने के लिए '0', 0•आ, उ प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे - रज्ज, रज्जा, रज्जु। (3) आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों से द्वितीया एकवचन बनाने के लिए '0', 0-अप्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे - माया, माय। (4) उत्तम पुरुष सर्वनाम का द्वितीया एकवचन होगा - मई। देखें पृ. स. 184 मध्यम पुरुष सर्वनाम का द्वितीया एकवचन होगा - पइं/तई। पृ. सं. 184 अन्य पुरुष (पुल्लिंग, स्त्री, नपुं.) सर्वनाम का द्वितीया एकवचन होगा - तं। पृष्ठ संख्या 172 2. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ सकर्मक हैं। सकर्मक क्रिया वह होती है, जिसमें कर्ता की क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ता है। जैसे - 'माता कथा सुनती है', इसमें कर्ता 'माता' की क्रिया 'सुनना' है। इसका प्रभाव 'कथा' पर पड़ता है, क्योंकि 'कथा' सुनी जाती है। अत: 'सुनना' क्रिया का कर्म 'कथा' है। 3. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। इनमें कर्ता के अनुसार क्रियाओं के पुरुष और वचन होते हैं। संज्ञा-वाक्यों में कर्ता अन्य पुरुष एकवचन में है, अत: क्रियाएँ भी अन्य पुरुष एकवचन की ही लगी हैं। अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International 95 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002687
Book TitleApbhramsa Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages246
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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