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पाठ 51 संज्ञा - सर्वनाम द्वितीया बहुवचन
. सकर्मक क्रियाएँ (1) संज्ञा
संज्ञाएँ
द्वितीया बहुवचन अकारान्त पुल्लिंग नरिंद = राजा, नरिंद/नरिंदा
करह = ऊँट, करह/करहा
परमेसर = परमेश्वर, परमेसर/परमेसरा अकारान्त नपुंसकलिंग भोयण = भोजन, भोयण/भोयणा/भोयणइं/भोयणाई
तिण = घास, तिण/तिणा/तिणइं/तिणाई
रज्ज = राज्य, रज्ज/रज्जा/रज्जइं/रज्जाई आकारान्त स्त्रीलिंग माया = माता, माया/माय/मायाउ/
मायउ/मायाओ/मायओ ... कहा = कथा, कहा/कह/कहाउ/कहउ/
कहाओ/कहओ . सिक्खा = शिक्षा सिक्खा/सिक्ख/सिक्खाउ/
सिक्खउ/सिक्खाओ/सिक्खओ
सकर्मक क्रियाएँ रक्ख = रक्षा करना, पाल = पालना,
सुण = सुनना, चर = चरना, पणम = प्रणाम करना, जाण = जानना, समझना
खा = खाना (1) अकारान्त पुल्लिग वर्तमानकाल
(द्वितीया बहुवचन)
नरिंदु ।
= राजा पमरेश्वरों (सिद्धों) को प्रणाम करता है।
नरिंदो
7 परमेसर/परमेसरा पणमइ/आदि नरिंदा रज्ज रज्जा नरिंद/नरिंदा रक्खइ/आदि
= राज्य राजाओं की रक्षा करता है।
रज्जु
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अपभ्रंश रचना सौरभ
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