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दूसरा अधिकार
गज स्वर्ग गमन विद्याधर भव विद्युत्प्रभदेव भव वर्णन ।
दोहा अस्वसेन कुलचंद्रमा, बामा उर अवतार || बंदौं पारस पदकमल, भविजन-अलि आधार ||१||
पद्धरी छंद । इसभांति तजे मरुभूति प्रान । अब सुनो कथा आगे सुजान ।। अतिसघन सल्लकी बन विशाल । जहं तरुवर तुंग तमाल ताल ||२|| बहु बेलजाल छाये निकुंज । कहिं सूखि परे तिन पत्रपुंज || कहिं सिकताथल कहिं सुद्ध भूमि । कहिं कपि तरुडारन रहे झूमि ।।३।। कहिं सजलथान कहिं गिरि उतंग | कहिं रीछ रोज विचरै कुरंग ।। तिस थानक आरत-ध्यान दोष । उपज्यौ वनहस्ती वज्रघोष ||४|| अति उन्नत मस्तकसिखर जास । मद-जीवन झरना झरहिं तास | दीसै तमवरन विसाल देह । मनों गिरिजंगम दूसरो येह ।।५।। जाको तन नख शिख छोभवंत । मुसलोपम दीरघ धवल दंत ।। मदभीजे झलक जुगल गंड । छिन छिनसौं फेरै सुंड दंड ||६|| जो बरुना नामैं कमठ नार | पोदनपुर निवसै निराधार || सो मरि तिहि हथिनी हुई आन । तिस संग रमै नित रंजमान ।। कबही बहु खंडै बिरछ-बेलि | कबही रजरंजित करहि केलि ।। कबही सर-वर-मैं तिरहि जाय । कबही जल छिरकै मत्तकाय || कबही मुख पंकज तोरि देय, कबही दह-कादो अंग लेय ।।९।।
दोहा । यों सुछंद क्रीड़ा करै, बरुना-हथिनी सत्थ ।। बन निवसै बारण बली, मारण-सील समत्थ ||१०||
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