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1.
गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव
अभाव पीत पदम |(31) [औपशमिक
1(22) (औपशमिक अप्रमत्त सम्यक्त्व,
चारित्र, क्षायिक पाँच संयत क्षायोपशमिक
। क्षायिकसम्यक्त्व मात, लब्धि केवलज्ञान, सम्यक्त्व] श्रुत, अवधि, मनःपर्यय
केवलदर्शन क्षायिक ज्ञान, चक्षुदर्शन,
चारित्र, कुमति कुश्रुत अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन,
कुअवधि ज्ञान क्षायोपशमिक पाँच संयमासंयम ,तिर्यञ्च गति लब्धि, क्षायोपशमिक, नरक गति, देव गति, कृ सम्यक्त्व, सराग ष्ण, नील, कापोत लेश्या, चारित्र, मनुष्यगति, असंयम मिथ्यात्व, पीत, पद्म शुक्ल अभव्यत्व] लेश्या, 3 लिंग, चार कषाय, अज्ञान, असिद्धत्व, जीवत्व, भव्यत्व
8. अपूर्व-10)
करण
(28) औपशमिक (25) (औपशमिक चारित्र सम्यक्त्व, क्षायिक
क्षायिक पॉच लब्धि, सम्यक्त्व, मति, श्रुत,
केवलज्ञान, केवलदर्शन, अवधि, मनः पर्यय
|क्षायिक चारित्र, कुमति,
कुश्रुत, कुअवधिज्ञान, ज्ञान, चक्षु, अचक्षु,
क्षायोपशमिक सम्यक्त्व अवधि दर्शन,
संयमासंयम, तिर्यश्च, थायोपशमिक पाँच
नरक, देवगति, कृष्ण लब्धि, सराग चारित्र, नील, कापोत पीत, पद्म मनुष्य गति, शुक्ल लेश्या, असंयम मिथ्यात्व, लेश्या, तीन लिंग, अभव्यत्व) चार कषाय, अज्ञान, असिद्धत्वजीवत्व, भव्यत्व
(25)
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