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संदृष्टि नं.49 औदारिक मिश्रकाययोग भाव (45) औदारिक मिश्रकाययोग में 45 भाव होते हैं। जो इस प्रकार हैं - क्षायिक भाव 9, मति आदि तीन ज्ञान, कुमति, कुश्रुत ज्ञान, दर्शन 3, क्षायो. लब्धि 5, क्षायो. सम्यक्त्व तिर्यंच गति, मनुष्य गति, कषाय 4, लिंग 3, लेश्या 6, मिथ्यादर्शन, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, पारिणामिक भाव 3 । गुणस्थान मिथ्यात्व, सासादन, असंयत और सयोग केवली ये चार होते हैं। गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव
अभाव मिथ्यात्व |2 (मिथ्यात्व, 31 (कुमति,
14 (क्षायिक भाव 9, अभव्यत्व) कुश्रुतज्ञान, दर्शन 2, | ज्ञान 3, अवधि दर्शन,
क्षायो. लब्धि 5, क्षायो. सम्यक्त्व) तिर्यंच गति, मनुष्य गति, कषाय,4, लिंग 3, लेश्या 6, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, पारिणामिक भाव 3)
सासादन |4 (कुज्ञान 2, 29 (उपर्युक्त 31 - 16 (उपर्युक्त 14 +
मिथ्यात्व, अभव्यत्व) | मिथ्यात्व, अभव्यत्व) नपुंसकवेद)
स्त्री,
अविरत |25 (ज्ञान 3, 31 (क्षायिक सम्यक्त्व,| 14 (मिथ्यात्व,
|दर्शन 3, क्षायो. ज्ञान 3. दर्शन 3, क्षायो.| अभव्यत्व, क्षायिक भाव लब्धि 5, लब्धि 5, क्षयो.
| 8, कुज्ञान 2, स्त्री, क्षायो.
सम्यक्त्व, तिर्यचगति, नपुंसक वेद ) सम्यक्त्व,
मनुष्यगति, कषाय 4, कषाय 4, तिथंच गति, पुल्लिंग, लेश्या 6, अज्ञान
असंयम, अज्ञान, पुल्लिंग, असिद्धत्व, पारिणामिक कृष्णादि 5,भाव 2 ) लेश्या, असंयम)
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