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________________ थे ऐसे नाभिराय ने जिस अपने पुत्र को दूर से बुलाकर हृदय की पीड़ा से तात, तात इस प्रकार कहा । भारेण मे भूभरणाभियोगि, भुग्नं शिरो मा भुजगप्रभोर्भूत् । इतीव ता ह्वयति द्रुतं यो, मन्दांघ्रिविन्यासपदं चचाल ॥ २९॥ अर्थ :- मेरे भार से पृथिवी के भार को धारण करने में उद्यमशील शेषनाग अथवा धरणेन्द्र का शिर टेढ़ा न हो जाय मानो इसी कारण से पिता नाभिराय के द्वारा बुलाए जाने पर जो शीघ्र ही मन्द मन्द कदम रखकर चल पड़े। विशेष :- इस पद्य में उत्प्रेक्षा अलङ्कार है । यः खेलनाद्धूलिषु धूसरोऽपि कृताप्लवेभ्योधिकमुद्दिदीपे । तारैरनभैः प्रभयानु भानु-रभ्रानुलिप्तो ऽप्यधरीक्रियेत ॥ ३० ॥ अर्थ :- धूलि में खेलने से जो स्नान किए हुओं से भी अधिक देदीप्यमान हो रहे थे । मेघों से अनुलिप्त भी सूर्य बादलों से रहित तारों की प्रभा से क्या तिरस्कृत किया जा सकता है? अर्थात् नहीं किया जा सकता है? उद्भूतबालोचितचापलोऽपि, लुलोप यो न प्रमदं जनानाम् । कस्याप्रियः स्यात् पवनेन पारि-प्लवोऽपि मन्दारतरोः प्रवालः ॥ ३१ ॥ अर्थ :- बालक के योग्य चपलता के प्रकट होने पर भी जिसने लोगों के हर्ष का लोप नहीं किया । मन्दारवृक्ष का कोमल पत्ता वायु से चञ्चल होने पर भी किसका अप्रिय होता है अर्थात् किसी का भी नहीं होता है । लसद्विशेषाकृतिवर्णवेषा, लेखाः परेषामसुलम्भमर्भम्। यं बालहारा इव खेलनौघैः, कटीतटस्थं रमयांबभूवुः॥ ३२॥ अर्थ :- जिनकी विशेष आकृतियाँ और वेष सुशोभित हो रहे हैं, ऐसे देवों ने कमर के तट पर स्थित जिस बालक को जिस प्रकार राजा के बच्चों को क्रीडा कराने वाले खेलों के समूह से रमण कराते हैं, उसी प्रकार दूसरों के लिए जो सुलभ नहीं हैं, ऐसे खेलों से रमण कराया। : विशेष देवों की देह स्वभाव से केश, रोम, नख, माँस, चर्म, अस्थि, वसा, रुधिर और मल-मूत्र से रहित शुभ वर्णादि से युक्त पुद्गलों से निष्पन्न तेजोमय स्वरूप होने से उन देवों ने वैक्रियिक रूप धारण कर सर्वोत्तम वर्ण और वेषादि से युक्त भगवान् को रमण कराया। Jain Education International [ जैन कुमारसम्भव महाकाव्य, सर्ग-१ ] www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only
SR No.002679
Book TitleJain Kumarsambhava Mahakavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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