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________________ अर्थ :- श्री ऋषभदेव के निद्रा सुख के भङ्ग से उत्पन्न भय एक ओर सुमङ्गला को धैर्य बँधाता था, दूसरी ओर स्वप्न के अर्थ को सुनने का कौतुक को उत्पन्न करता था। स्त्रियों में स्थिरता कहाँ? क्षोभो भवन् मा स्म सुषुप्तितृप्ते, नाथेऽत्र तारस्वरया ममोक्तया। मेधाविनी तज्जय जीव नन्दे-त्युदीरयामास मृदुं गिरं सा॥ ६॥ अर्थ :- सुषुप्ति से तृप्त इन नाथ के होने पर ऊँचे स्वर वाली मेरी उक्ति से क्षोभ न हो जाय, इस कारण बुद्धिमती उसने तुम्हारी जय हो, तुम जियो, आनन्दित रहो, इस प्रकार मृदु वाणी बोली। चित्रं वधूवक्त्रविधूत्थवल्गु-वाक्कौमुदीभिः सरसी रराज। श्रीसङ्गमैकप्रतिभूप्रबोध - लीलोल्लसल्लोचननीरजन्मा॥ ७॥ अर्थ :- लक्ष्मी के मिलन के मात्र जामिन के समान प्रबोध की लीला से सुशोभित नेत्रजल से उत्पन्न वधू सुमङ्गला के मुख रूप चन्द्र से उत्पन्न चाँदनियों से वे भगवान् रस से व्याप्त (महासर) आश्चर्य से सुशोभित हुए। निविष्टवानिष्टकृपः स पूर्व-कायेन शय्यां सहसा विहाय। क्षणं, धृतोष्मामिदमङ्गसङ्ग-भङ्गानुतापादिव देवदेवः॥ ८॥ अर्थ :- जिसके लिए करुणा इष्ट है, ऐसे भगवान् अग्र शरीर से अपने अङ्ग के सङ्ग : के भङ्ग के पश्चाताप से क्षण भर के लिए मानों संताप धारण किया हो, इस प्रकार शय्या को सहसा छोड़कर बैठ गए। पुरः स्थितामप्युषितां हृदन्त-र्निशिप्रबुद्धामपि पद्मिनी ताम्। अप्यात्तमौनां स्फुरदोष्ठदृष्ट-जिजल्पिषामैक्षत लोकनाथः॥९॥ अर्थ :- श्री युगादीश ने आगे स्थित भी हृदय के मध्य वास करने वाली, रात्रि में जागी हुई, मौन धारण करने पर भी फड़कते हुए ओष्ठ से जिसकी कहने की इच्छा दिखाई दे रही थी ऐसी पद्मिनी स्त्री (कमलिनी) सुमङ्गला को देखा। सुमङ्गलां मङ्गलकोटिहेतु-र्नेतुर्निदेशस्त्रिदशेशमान्यः। निवेशयामास निवेशयोग्ये, भद्रासने भद्रमुखीमदूरे॥ १०॥ अर्थ :- (दधि, दूर्वा, अक्षत, चन्दनादि) मङ्गलों की कोटि के हेतु इन्द्र के द्वारा मान्य श्री ऋषभदेव के आदेश ने कल्याणमुखी को समीप में बैठने के योग्य भद्रासन पर बैठाया। (११४) [जैन कुमारसम्भव महाकाव्य, सर्ग-८] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002679
Book TitleJain Kumarsambhava Mahakavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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