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________________ अर्थ :- भौंरों के द्वारा सुगन्धि के लोभ से सेवकों के समान अनुगत, स्त्री के भुजपाश के समान, पुण्यशाली लोगों के कण्ठग्रहण के योग्य, पारिजात के द्वारा भेजी गई भेंट के समान संसार को प्रिय तथा निरूपम पुष्पमाला सुमङ्गला के नेत्रगोचर हई। चकोराणां सुमनसा-मिव प्रीतिप्रदामृतम्। रोहिण्या इव यामिन्या, हृदयङ्गमतां गतम्॥३४॥ निर्विष्टकौमुदीसारं, कामुकैरिव कैरवैः। आस्ये विशन्तं पीयूष-मयूखं सा निक्षत॥३५॥ युग्मम्॥ अर्थ :- उस सुमङ्गला ने देवों के समान चकोरों का प्रीतिपद अमृत जिसका है, रोहिणी के समान रात्रि के द्वारा जो हृदयंगमता को प्राप्त है, धनुष के समान कुमुदों से जिसका सार उपयुक्त है, ऐसे चन्द्रमा को देखा। क्षिपन् गुहासु शैलानां, लोकादुत्सारितं तमः। संकोचं मोचितं पद्म-वनाद् घूकदृशां दिशन्॥३६॥ न्यस्यन् प्रकाशमाशासु, तारकेभ्योऽपकर्षितम्। स्वप्नेऽपि स्मेरयामास, तस्या हत्कमलं रविः॥ ३७॥ युग्मम्॥ अर्थ :- लोगों से दूर किए गए अन्धकार को पर्वतों की गुफाओं में फेंकते हुए, कमलवन से उल्लूओं के नेत्रों को निर्देश देते हुए, ताराओं से गृहीत प्रकाश को दिशाओं में स्थापित करते हुए सूर्य ने सुमङ्गला के हृदयकमल को स्वप्न में भी विकसित कर दिया था। अखण्डदण्डनद्धोऽपि, न त्यजनिजचापलम्। सहजं दुस्त्यजं घोष-निव किंकिणिकाक्कणैः॥ ३८॥ ध्वजो रजोभयेनेव, व्योमन्येव कृतास्पदः। तत्प्रीतिनर्तकीनाट्या-चार्यकम्बां व्यडम्बयत्॥३९॥ युग्मम्॥ अर्थ :- अखण्ड दण्ड से बद्ध होने पर भी स्वाभाविक कठिनाई से त्यागने योग्य अपनी चपलता को क्षुद्रघंटियों की आवाज से शब्द करते हुए के समान, रजोभय से .. आकाश में कृतस्थान के समान ध्वज ने सुमङ्गला की प्रीति रूपी नर्तकी के नर्तन में रङ्गाचार्य के छोटे से कम्बल का अनुसरण किया। स्त्रैणेन मौलिना ध्रीये, सोऽहं साक्षी जगजनः। त्वं धत्सेऽतुच्छमत्सम्प-ल्लुम्पाको हृदये पुनः॥४०॥ मुखन्यस्ताम्बुजच्चञ्चच्चञ्चरीकरवच्छलात्। इति प्रीतिकलिं कुर्वन्निव कुम्भस्तयैक्ष्यत ॥ ४१॥ युग्मम्॥ [जैन कुमारसम्भव महाकाव्य, स]ि (१०५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002679
Book TitleJain Kumarsambhava Mahakavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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