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पदार्थों के संयोगमें उसे इष्ट-अनिष्टपना नहीं होता। वह अपने स्वरूपको जन्म-जरा-मरण-रोग आदिसे रहित तथा सब माहात्म्यका स्थान जान कर, अनुभव कर, कृतार्थ हो जाता है। जिन जिन पुरुषोंको परम पुरुषों के इन वचनों द्वारा कि ये छः बातें सप्रमाण हैं, आत्माका निश्चय हुआ है उन उन पुरुषोंने अवश्य आत्म-स्वरूप प्राप्त किया है। वे आधि-व्याधिउपाधि-के सर्व-संगसे मुक्त हुए हैं, होते हैं और इसी प्रकार भविष्य कालमें भी होंगे।
जिन पुरुषोंने जन्म-जरा-मरणके क्षय करनेवाला और स्व-स्वरूपमें सहज स्थिति करानेवाला उपदेश किया है उन महा पुरुषों के लिए अत्यन्त भक्ति-पूर्वक नमस्कार है । और जिनकी निष्कारण करुणाकी नित्यप्रति निरन्तर स्तुति करते रहनेसे आत्म-स्वरूप प्रगट होता है, वे सब सत्पुरुष तथा उनके चरण-कमल सदा मेरे हृदयमें विराजमान रहें ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।
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