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________________ श्रीमद् राजचन्द्र। परिचय । 'बम्बई समाचार' नामके दैनिक पत्रने सन् १८८६ दिसम्बर ता० ९ के अंकमें नीचे लिखा शीर्षक देकर अपने अग्रलेखमें लिखा थाः अद्भुत स्मरण-शक्ति तथा कवित्व-शक्ति-सम्पन्न एक युवा हिन्दूका आगमन और उसके ___द्वारा किये गये शतावधान । "श्रीयुत कवि राजचन्द्र रवजीभाईकी उम्र इस समय कुल १९ वर्षकी है। वे एक हिन्दू-गृहस्थ हैं । मोरवीसे यहाँ आकर उन्होंने अपनी स्मरणशक्ति तथा कवित्व-शक्तिके जो अद्भुत प्रयोग करके दिखलाये हैं पाठकोंको समय समय पर हम उनका परिचय कराते आ रहे हैं । ऐसी महान शक्तिके धारक कई पुरुष यहाँ आ चुके हैं। और खुद बम्बईहीमें शीघ्र-कवि श्रीयुत पंडित गठ्ठलालजी इस प्रकारकी शक्तिके. धारक हैं। परन्तु कुछ लोगोंका कहना है कि श्रीमद् राजचन्द्रकी शक्ति उनसे भी कहीं बढ़ी-चढ़ी है। दूसरे जहाँ एक साथ आठ आठ अवधान करते हैं वहाँ श्रीमद् राजचंद्र एक साथ कोई सौ अवधान करनेवाले समझे जाते हैं। उनकी शक्तिमें सबसे बड़ी भारी खूबी यह है कि वे एक ही समयमें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002678
Book TitleAtmasiddhi in Hindi and Sanskrit
Original Sutra AuthorShrimad Rajchandra
AuthorUdaylal Kasliwal, Bechardas Doshi
PublisherMansukhlal Mehta Mumbai
Publication Year
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Soul, Spiritual, & Rajchandra
File Size9 MB
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