SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८. अजीव-तत्त्व ३. शरीर तथा शरीर में स्फूर्ति, गरमी तथा कान्ति उत्पन्न करने वाला प्राणात्मक विभाग तो कहलाता है 'तेजस', और जड़ कर्मों के साथ-साथ इन्द्रिय, मन, बुद्धि आदि को उत्पन्न करने वाला रागद्वेषात्मक विभाग कहलाता है 'कार्मण' । आभ्यन्तर जगत् में इन दोनों ही प्रकारके शरीरों का प्रत्यक्ष किया जाना सम्भव है। स्थूल हो अथवा सूक्ष्म दोनों ही शरीर शीर्ण-स्वभावी हैं। विशेषता है केवल इतनी कि पहला तो शीर्ण हो जाता है केवल एक भव में और दूसरा होता है अनन्तों भवों में। मृत्यु के समय स्थूल शरीर तो अपना त्याग-पत्र देकर महाप्रभु-जीव-तत्त्व से विलग हो जाता है, परन्तु यह सूक्ष्म शरीर एक सच्चे मित्र की भाँति भव-भवान्तरों में भी अपनी सेवा से निवृत्त नहीं होता। जब-जब, जहाँ-जहाँ, जिस-जिस भव में भी चेतन भगवान जाने की इच्छा करते है, यह तुरन्त उनको वहाँ पहुँचाने का प्रबन्ध कर देता है। इतना ही नहीं, स्वयं भी उनके साथ जाकर उनकी वासना के अनुसार, उनके रहने के लिये, तुरन्त एक नया भवन बनाकर खड़ा कर देता है ताकि वहाँ परदेश में किसी प्रकार का कष्ट न होने पावे उन्हें । अर्थात् भव-भव में जीव के साथ जाकर नये-नये शरीरों का निर्माण करते रहना ही इस विश्वकर्मा का काम है। समय तक जब तक कि इसका स्वामी यह जीव राजा स्वयं अपने स्वामित्व को समझकर इसके चंगल से बाहर नहीं निकल जाता। उसी समय पता चलता है उसे कि यह वास्तव में उसका मित्र था या मीठा शत्रु । यदि पारमार्थिक मित्र होता तो प्रथम क्षण में ही सारे रहस्य का उद्घाटन करके वह इसे भव-भ्रमण से बचा लेता। इस प्रकार बाह्य और अभ्यन्तर का यह सकल विस्तार अजीव है, जड़ है अथवा चिदाभासी है। MERS SME ४ . ANWAR ना WCOM Indline २ ॥ - CI - (G चल भले धीरे धीरे चल । परन्तु जीव व अजीव तत्त्व का विवेक उत्पन्न करता चल। विवेक जागृत होने पर साधु बन जाएगा तू। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002675
Book TitleShantipath Pradarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year2001
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy