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विषय सूची
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विषय १. दर्शन खण्ड
| ११. कार्यकारण व्यवस्था १. अध्ययन पद्धति
१.कार्य शब्द. २. पंच समवाय, ३. स्वभाव, १. कार्य की प्रयोजकता, २. अध्ययन के विन, ४. निमित्त, ५. निमित्तोपादन मैत्री, ३. वक्ता की प्रमाणिकता, ४. विवेचन के दोष,
६. पुरुषार्थ । ५. श्रोता के दोष, ६. महाविध पक्षपात,
१२. नियतिवाद
६८ ७. वैज्ञानिक बन, ८. पक्षपात निरसन।
१. नियति तथा भवितव्य, २. नियति की २. धर्म का प्रयोजन
सिद्धि, ३. अनेकों प्रश्न, ४. नियति पुरुषार्थ, १. अन्तर की माँग, २. विज्ञान-विधि, ३. सत्य
५.नियति निमित्त, ६. अकाल मृत्यु, पुरुषार्थ, ४. इच्छा गर्त, ५. संसारवृक्ष ।
७. आगम आज्ञा, ८. सर्वांगीण मैत्री। ३. शान्ति २०|१३. आस्रव तत्त्व
७६ १. भोग महारोग, २. चतुर्विध शान्ति,
. १. पारमार्थिक अपराध, २. कार्मण शरीर, ... ३. सच्ची शान्ति ।
३. द्विविध अपराध, ४. रागद्वेष, ५. क्रिया की ४. धर्म का स्वरूप
अनिष्टता। १. सच्चा धर्म, २. धर्म का लक्षण,
पुण्यास्त्रव
८० ३. अन्तर्ध्वनि तथा संस्कार ।
१. पुण्य भी अपराध, २. पुण्य भी पाप, ५. शान्ति मार्ग
३. इच्छा दर्शन, ४. पुण्य में पाप, ५. ज्ञानी १. वयात्मक पथ, २. लक्ष्य बिन्दु, ३. श्रद्धा,
का पुण्य, ६. अभिप्राय का फेर, ४. चारित्र।
७. पुण्य-समन्वय, ८. मनोविज्ञान, ६. तत्त्वार्थ
९. चतुर्विध क्रिया। १. सात तथ्य, २. तत्त्व, ३. तत्त्वार्थ ।
| १५. बन्ध तत्त्व ७. जीव तत्त्व
१. बड़ी भूल, २. संस्कार-निर्मिति । १. 'मैं' की खोज, २. जीवराशि,
| १६. संवर तत्त्व ३. स्थावरकाय में जीवन-सिद्धि, ४. अन्तस्तत्त्व,
१. भूल-निवृत्ति, २. संस्कार-निवृत्ति । ५. शान्ति मेरा स्वाभाव, ६. शान्ति की खोज, | १७. निर्जरा तत्त्व ७. जल में मीन प्यासी।
१. निर्जरा, २. संस्कार-क्षति, ३. प्रतिकूल अजीव तत्त्व
वातावरण, ४. संवर में निर्जरा । १. द्विविध जगत्, २. अजीव तत्त्व,
मोक्ष तत्त्व ३. शरीर।
१. मोक्ष तत्त्व, २. काल्पनिक मोक्ष, ३. भाव ९. विवेक ज्ञान
मोक्ष। १. विवेक, २. सदसद् विवेक, ३. स्व-पर | १९. सम्यग्दर्शन
१०१ विवेक, ४. षट्कारकी स्वतन्त्रता, ५. जन्ममृत्यु
१.पंचलक्षण समन्वय, २.विविध अंग। रहस्य, ६. उत्पाद व्यय ध्रौव्य,७. भेद-विज्ञान । २०. समन्वय
१११ ज्ञानधारा कर्मधारा
१. सप्त तत्त्व समन्वय, २. रत्नत्रय समन्वय, १.स्व भज पर तज.२.जानकर्म-विवेक.
३. स्याद्वाद, ४. उपसंहार । ३. सत्य पुरुषार्थ ।
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