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(xxi) विषय
विषय
पृष्ठ २. साधना खण्ड २९. तप
२०० २१. साधना
११९
१. सामान्य परिचय, २. भय-निवृत्ति, १. महाविध, २. षट्लेश्या वृक्ष,
३. शक्ति-वर्द्धन, ४. शरीर का सार्थक्य, ३. आभ्यन्तर साधना, ४. बाह्य साधना,
५. मानस तप,६. नव-संस्कार। ५.समन्वय। |३०. दान
२०८ २२. गृहस्थ धर्म
१२७ | १. सहज दान, २. दानधर्म, ३. पात्रापात्र १. सामान्य परिचय।
विचार, ४. पात्र दान, ५. सामाजिक दान । २३. देवपूजा १२९/३१. श्रावक धर्म
२१३ १. आदर्श भिखारी, २. आदर्श दाता,
१. शान्ति का संस्कार, २. स्वाभाविक ३. आदर्श देव, ४. आदर्श पूजा, ५. अष्ट द्रव्य
वैराग्य. ३. अभ्यास की महत्ता. ४. शल्य पूजा, ६. शंका समाधान—( देव विषयक,
५. अणुव्रती, ६. सामायिक, ७. दोषों की ii. पूजा विषयक, iii. प्रतिमा विषयक,
सम्भावना, ८. अतिचार और अनाचार, in मन्दिर विषयक)।
९. आगे बढ़। २४. गुरु उपासना १५०/३२. साधु धर्म
२२० १. पुनरावृत्ति, २. गुरु कौन, ३. आदर्श शिक्षा,
१. सामान्य परिचय, २. इन्द्रिय-जय, ४. आदर्श उपासना, ५. पराश्रय में स्वाश्रय,
३. महाव्रत, ४. समिति, ५. षड् आवश्यक, ६. सच्चे गुरु।
६. गुप्ति, ७. धर्म, ८. अनुप्रेक्षा, २५. स्वाध्याय
१५८ ९. परिषहजय, १०. चारित्र, ११. तप, १. स्वाध्याय का महत्त्व, २. शास्त्रविनय,
१२. महिमा। ३. शास्त्र क्या, ४. प्रयोजनीय विवेक ।
३३. अपरिग्रह
२२८ २६. संयम
१६५ | १. दिगम्बरत्व, २. लंगोटी भी भार, १. संयम सामान्य, २. प्रेरणा, ३. इन्द्रियविषय , । ३. लक्ष्य पूर्ति, ४. अपरिग्रहता साम्यवाद, विभाजन, ४. अन्तरंग व बाह्य संयम,
५. आंशिक अपरिग्रहता, ६. परिग्रह स्वयं ५. इन्द्रिय संयम, ६. प्राण संयम, ७. पंच पाप,
दुःख,७. अपरिग्रहता स्वयं सुख। ८. हिंसा, ९. संयम का प्रयोजन, १०.विश्व । ३४. उत्तम क्षमा
२३६ प्रेम, ११. तात्त्विक समन्वय।
१. सामान्य परिचय, २. गृहस्थ की क्षमा, २७. अहिंसा
१७८
क्षमा, ४. अध्यात्म सम्बोधन, १. कर्त्तव्य विवेक, २. यत्नाचारी अहिंसा,
५. गृहस्थ को प्रेरणा। ३. विरोधी हिंसा में अहिंसा, ४. शत्रु कौन, |३५. उत्तम मार्दव
२४२ ५. क्रूर जन्तु शत्रु नहीं।
१. अभिमान, २. आत्म सम्बोधन, २८. भोजन शुद्धि
१८४] ३. लोकेषणा दमन। १. तामस राजस विवेक, २. भक्ष्याभक्ष्य विवेक, उत्तम आर्जव
२४६ ३. बैक्टेरिया विज्ञान, ४. मर्यादा काल,
१. सामान्य परिचय, २. गृहस्थ की ५. छूआछूत, ६. मन वचन काय शुद्धि,
कुटिलता, ३. साधु की कुटिलता, ७. आहार शुद्धि,८. मांस निषेध, ९. मछली
४. आत्म-सम्बोधन। अण्डा निषेध, १०. चर्म निषेघ, ११. दूध दही ३७. उत्तम शौच
२४९ की भक्ष्यता, १२. समन्वय।
१. सच्चा शौच, २. गंगा तीर्थ, ३. लोभ पाप का बाप।
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