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________________ २८. भोजन-शुद्धि १९३ ६. मन वचन काय शुद्धि ८. द्रव्य-शुद्धि के अन्तर्गत 'सकरा विधि' भी जाननीय है। शुद्ध तथा अशुद्ध द्रव्य को साथ-साथ रखना या पकाना योग्य नहीं। घी, मसाले व आटा आदि उतने ही लेने चाहियें जितने कि प्रयोग में आकर बाकी न बचें। घी, मसाले आदि के पूरे के पूरे बर्तन या डब्बे भोजन बनाते समय पास में नहीं रखने चाहिये, क्योंकि ऐसा करने से सम्भवत: उनमें अन्न व नमीका अंश चला जाये जिससे कि उनमें बैक्टेरिया की शीघ्र उत्पत्ति होने लगे। भोजन बनाकर बचा हुआ घी आटा आदि पुन: मूल पदार्थ में नहीं मिलाना चाहिये क्योंकि याद रहे कि इस बचे हुये पदार्थ में अन्न का अंश आ चुका है जो पदार्थ में पड़कर सारे पदार्थ को बिगाड़ देगा। पृथक्-पृथक् वस्तुओं को देगची से निकालने के लिये पृथक्-पृथक् चमचे रखने चाहिये, एक का चमचा दूसरे में नहीं देना चाहिये। ९. वनस्पति शुद्धि में यह विवेक अवश्य रखना चाहिये कि किसी भी वनस्पति को बिनारने से पहले या चौके में प्रवेश कराने से पहले उसे स्वच्छ जल से एक बार अच्छी तरह रगड़-रगड़कर धो लें, ताकि उसके बाहर लगे अशुद्ध जल सम्बन्धी या छआछत सम्बन्धी या बैक्टेरिया सम्बन्धी सर्व दोष दर हो जायें। १०.ईंधन-शुद्धि के अन्तर्गत लकड़ी आदि को अच्छी तरह झाड़कर प्रयोग में लायें, बीझी लकड़ी का तथा अरणे व गोये का प्रयोग चौके में न करें । इस प्रकार आहार शुद्धि के अन्तर्गत द्रव्य-शुद्धि के दस अधिकार समाप्त हुए। (२) अब क्षेत्र-शुद्धि सम्बन्धी बात चलती है । क्षेत्र शुद्धि के अन्तर्गत आपकी पाकशाला अत्यन्त स्वच्छ व साफ धुली-धुलाई होनी चाहिए। वह स्थान अंधियारा नहीं होना चाहिये । दीवार धुएँ से काली हो जायें तो चूना करा लेना चाहिए । फर्श चिकनी सीमेन्ट की हो तो अच्छा, नहीं हो तो गारा गोबर से लिपी हुई होनी चाहिये । पाकशाला में जाले आदि लगे नहीं होने चाहियें और छत पर धुला हुआ स्वच्छ चन्दोवा बन्धा रहना चाहिए । चन्दोवा इतना बड़ा हो कि चूल्हा, बर्तन तथा पकाने, खाने व परोसने वाले सब उसकी सीमा के भीतर ही रहें, बाहर नहीं । चन्दोवा मैला नहीं होना चाहिये। ___ बर्तन सूखे मंजे होने चाहिये, खड्डे वाले बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिये । वे खूब चमकदार होने चाहिएँ, उन पर चिकनाई नहीं लगी रहनी चाहिए । बर्तन पोंछने का या हाथ पोंछने का या रोटियाँ रखने का छलना कपड़ा आदि साबुन से धुले हुये अत्यन्त स्वच्छ रहने चाहिये, तनिक भी मैले कपड़े का प्रवेश चौके में नहीं होना चाहिये । बर्तन का प्रयोग करने से पहले उसे स्वच्छ जल से एक बार धो व पोंछ लेना चाहिये । पाटे व पंखे आदि जो भी चौके में लाये जायें धोकर ही लाये जायें । इनको चौके से बाहर ही धो लेना योग्य है, बिना धुला पंखा प्रयोग में लाना योग्य नहीं । पंखे को धोकर सुखा लेना चाहिये, गीले का गीला प्रयोग करने से भोजन में उससे उड़ने वाले पानी के छींटे पड़ने का भय है। | सब पदार्थों के बर्तन किसी चौकी पर या पाटे पर या किसी ऊँचे स्थान पर सजाकर रखने चाहियें ताकि इधर-उधर से आया हआ पानी उनके नीचे न जा सके। जिस स्थान पर आपका पाँव आता हो वहाँ पके हये पदार्थ का बर्तन नहीं रखना चाहिये। यदि नीचे ही बर्तन रखने पड़ें तो राख बिछाकर रखने चाहिये ताकि उतने स्थान में पाँव के आने का भय न रहे । बेलन कभी पाँव पर नहीं रखना चाहिये, रोटी बेलकर उसे परात में ही रखना चाहिए । अपना हाथ भूमि से स्पर्श नहीं होने देना चाहिये यदि हो जाए तो धोना चाहिए इत्यादि । अन्य भी अनेकों प्रकार से छूआछूत का विवेक बनाये रखना योग्य है। मक्खियों के प्रवेश के प्रति जितनी भी सावधानी सम्भव हो करनी चाहिये। चिड़िया-चूहा आदि के प्रवेश के प्रति भी यथासम्भव रोक थाम करनी चाहिये। (३) काल शुद्धि के अन्तर्गत चौके सम्बन्धी कोई कार्य रात को या अन्धेरे में नहीं करना चाहिये। कम इतना प्राकृतिक प्रकाश अवश्य होना चाहिये कि पदार्थ स्पष्ट दिखाई दे जाय । बिजली व दीप के प्रकाश में काम करना योग्य नहीं, क्योंकि दीपक पर आने वाले या स्वाभाविक रूप से अन्धयारे वायुमण्डल में घूमने वाले छोटे-छोटे उड़ने वाले प्राणियों के भोजन में पड़ जाने की सम्भावना रहती है। (४) भाव शुद्धि का अर्थ मन-शुद्धि में गर्भित है। इन चार बातों के अतिरिक्त भोजन परसने में भी अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता है। रोटी, दाल, भात, जल, दूध अथवा नमक, मिर्च, मसाला जो कुछ भी परसना हो अच्छी तरह देख-शोधकर परसना चाहिये ताकि इसमें बाल, चींटी आदि कोई ऐसा पदार्थ न रह जाये जिसके थाली में चले जाने पर अतिथि को अन्तराय होने की सम्भावना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002675
Book TitleShantipath Pradarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year2001
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size10 MB
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