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________________ २५. स्वाध्याय १६४ ४. प्रयोजनीय विवेक स्वाध्याय अत्यन्त इष्ट है। जिसके पास समय अधिक है उसके लिये भी यह महान उपकारी है, क्योंकि इसकी उलझी हुई बातों को समझने में बुद्धि इतनी उलझ जाती है कि दिन जाता प्रतीत नहीं होता। इसका स्वाध्याय करते समय व्यक्ति सब कुछ भूल जाता है और किसी प्रकार के भी लौकिक विकल्प को जागृत होने के लिये अवकाश नहीं रहता। इस कथन पर से स्वयं अपनी भूमिका को पहिचान कर इन चारों में से यथा योग्य रूप में किसी भी शास्त्र का मनन करना तेरा परम कर्तव्य है । शान्ति-पथ की साधना में यह तीसरा पग है। स्वाध्याय का प्रताप-"जैनेन्द्र प्रमाण कोष" का जन्म हतीप स जमन्त्र शब्द मेष जैनेन्द्र शब्द कोष जनेन्द्र प्रमाण कोष H: अनेन्द्र प्रमाण कोष अनेन्द्र प्रमाण कोष कोर आठ मोटे-मोटे खण्डों में विभक्त, श्री जिनेन्द्र वर्णी द्वारा संकलित तथा सम्पादित यह हस्तलिपि ही वह मूल आधार है जो कि आगे चलने पर जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश के रूप में रूपान्तरित हो गया। जगत् को चमत्कृत कर देने वाली यह अपनी जाति की प्रथम कृति है। कोई भी सैद्धान्तिक शब्द ऐसा नहीं तथा कोई भी आगम-प्रणीत विषय ऐसा नहीं जिसका अर्थ तथा पूरा विवरण इनमें निबद्ध न हो। कोई भी सैद्धान्तिक शंका ऐसी नहीं जिसका समाधान इसमें प्राप्त न हो । “जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश" के रूप में प्रकाशित इस महान कृति से लेखक, प्रवक्ता, विद्यार्थी, अध्ययेता, सन्धाता तथा जैन विषयों पर शोध करने वाले स्नातकगण आज किस प्रकार अनुगृहीत हो रहे हैं, यह बताने की आवश्यकता नहीं। भारतीय ज्ञान पीठ के शब्दों में कहूं तो यह एक सुखद आश्चर्य की बात है कि जो कार्य अनेक विद्वान कई वर्षों तक लगकर सम्पन्न कर पाते उसे एक ही साधक (श्री जिनेन्द्र वर्णी) ने १७ वर्षों की अनवरत तन्मयता के फलस्वरूप अकेले सम्पन्न किया है।" इस आश्चर्यपूर्ण महान कृति की पृष्ठ भूमि में श्रद्धेय श्री वर्णी जी की वह कठोर तपस्या निहित है, जो उनके एकान्त प्रिय अभीक्ष्ण-ज्ञानोपयोगी व्यक्तित्व ने मूक भाव से केवल जिनवाणी की उपासना के अर्थ १७ वर्ष पर्यन्त की है । 'स्वाध्याय: परमं तपः' । ब्र० राजमल भोपाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002675
Book TitleShantipath Pradarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year2001
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size10 MB
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