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सौ पद के वास्तु में
ब्रह्मा सोलह पद का ऊपर
के कोने के आठ देव डेढ़ २
पदके, अर्यमादि चार देव
आठ आठ पद के और
मध्य कोने के आप आपवत्स आदि आठ देव दो २
पद के, तथा बाकी के देव एक २ पद के हैं ।
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उनपचास पद के वास्तु का स्वरूप
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"वेदांशो विधिरर्यमप्रभृतयत्र्यंशा नव स्वष्टकं, कोणेतोऽष्टपदार्द्धकाः परसुराः षद्मा गहीने पदे । वास्तोर्नन्दयुगांश एवमधुनाष्टांशैश्चतुःषष्टिके,
सन्धेः सूत्रमितान् सुधीः परिहरेद् भित्तिं तुलां स्तंभकान् ॥”
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