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गृह प्रकरणम्
वित्त घर के बांयी ओर यदि एक अलिन्द हो तो यह बंधुद' घर कहा जाता है । चित्त घर के बांयी ओर एक अलिन्द हो तो यह 'पुत्रद' घर कहा जाता है। धन घर के बांयी ओर एक अलिन्द हो तो यह 'सर्वांग' घर कहा जाता है । कालदंड घर के बांयी ओर एक लिंद हो तो यह 'कालचक्र' घर कहा जाता है।
शान्तन घर के पिछले भाग में और दाहिनी तरफ एक २ अलिंद तथा आगे दो अलिन्द हो तो यह 'त्रिपुर' घर कहा जाता है । शान्तिद घर के पिछले भाग में और दाहिनी तरफ एक २ अलिन्द तथा आगे दो अलिन्द हो तो यह 'सुंदर घर कहा जाता है। वर्द्धमान घर के पीछे और दाहिनी तरफ एक २ अलिन्द तथा आगे दो अलिन्द हो तो यह 'नील' घर कहा जाता है । कुक्कुट घर के पीछे और दाहिनी तरफ एक २ अलिन्द तथा आगे दो अलिन्द हो तो यह 'कुटिल' घर कहा जाता है ॥८४॥
पिट्टी दाहिणवामे इगेग गुंजारि पुरउ दु अलिंदा । तं सासयं श्रावासं सव्वाण जणाण संतिकरं ॥५॥
शान्तन घर के पीछे दाहिनी और बांयी तरफ एक २ अलिन्द हो तथा आगे की तरफ दो अलिन्द हो तो यह 'शाश्वत' घर कहा जाता है, यह घर समस्त मनुष्यों को शान्तिकारक है । शान्तिद घर के पीछे दाहिनी और बांयी तरफ एक २ अलिन्द हो तथा आगे दो अलिन्द हो तो यह 'शास्त्रद' घर कहा जाता है। वर्द्धमान घर के पीछे दाहिनी और बांयी तरफ एक २ अलिन्द हो तथा आगे दो अलिन्द हो तो यह 'शील' नामक घर कहा जाता है । कुक्कुट घर के पीछे दाहिनी और बांयी तरफ एक २ अलिन्द हो तथा भागे की तरफ दो मलिन्द हो तो यह 'कोटर' घर कहा जाता है ॥८॥
दाहिणावाम इगगं अलिंद जुअलस्स मंडवं पुरो। *श्रोवरयमज्झि थंभो तस्स य नाम हवइ सोमं ॥८६॥
शान्तन घर के दाहिनी और बांयी तरफ एक २ अलिन्द तथा आगे दो मलिन्द मंडप सहित हो, एवं शाला के मध्य में स्तंभ हो तो यह 'सौम्य घर
* ' उवरणमझे अभय ' इति पाठान्तरे ।
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