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(३६)
वास्तुसारे
घर के नक्षत्र से घर के स्वामी के नक्षत्र तक गिने, जो संख्या आवे उसको नौ से भाग दे, जो शेष रहे यह तारा समझना । इन ताराओं में छट्ठी, चौथी
और नववीं तारा शुभ है । दूसरी, पहली और भाठवीं तारा मध्यम है। तीसरी पांचवीं और सातवीं तारा अधम है ॥६॥ आयादि जानने के लिए उदाहरण__जैसे घर बनाने की भूमि ७ हाथ और 8 अंगुल लंबी तथा ५ हाथ और ७ अंगुल चौड़ी है । इन दोनों के अंगुल बनाने के लिये हाथ को २४ से गुणा कर अंगुल मिला दो तो ७४२४ = १६८+8= १७७ अंगुल की लंबाई और ५४२४=१२०+७=१२७ अंगुल की चौड़ाई हुई । इन दोनों अंगुलात्मक लंबाई चौड़ाई को गुणा किया तो १७७४१२७=२२४७६ यह क्षेत्रफल हुआ। इसको आठ से भाग दिया तो २२४७६८ तो शेष सात रहेंगे । यह सातवां गज आय हुआ ।
अब घर का नक्षत्र लाने के लिये क्षेत्रफल को आठ से गुणा किया तो २२४७६४८= १७६८३२ गुणनफल हुआ, इसको २७ से भाग दिया १७६८३२ : २७ तो शेष बारह बचे, यह अश्विनी आदि से गिनने से बारहवां उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र हुआ।
___अब घर की भुक्त राशि जानने के लिये-नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी बारहवां है तो १२ को ४ से गुणा किया तो ४८ हुए, इनको 8 से भाग दिया तो लब्धि ५ आई, यह पांचवीं सिंह राशि हुई। यह नियम सर्वत्र लागु नहीं होता, इसलिये गृहराशि यंत्र में कहे अनुसार राशि समझना चाहिये । ___ व्यय जानने के लिये-घर का नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी बारहवां है, इसलिये १२ को आठ से भाग दिया १२८ तो शेष ४ बचे। यह आय ७ वें से कम है, इसलिये यक्ष व्यय हुमा अच्छा है।
अंश जानने के लिये-घरका क्षेत्रफल २२४७६ में जिस जाति का घर हो उसके वर्ण के अवर जोड़ दो, मान लो कि विजय जाति का घर है तो इसके वर्णाक्षर के अंक ३ हुए, यह और व्यय के अंक ४ मिला दिये तो २२४८६ हुए, इनको तीन से भाग दिया तो शेष १ बचता है, इसलिये घर का अंश इन्द्रांश हवा ।
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