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घर बनाने की भूमि की लंबाई और चौडाई का गुणाकार करे, जो गुणनफल आवे उसको घरका मूलराशि (क्षेत्रफल ) जानना । पीछे इस क्षेत्रफल को पाठ से गुणा करके सत्ताइस से भाग दे, जो शेष बचे यह घर का नक्षत्र होता है ॥५८॥ घर के राशि का ज्ञान
गिहरिक्खं चउगुणिधे नवभत्तं लडु भुत्तरासीयो। गिहरासि सामिरासी सड ह दु दुवालसं असुहं ॥४॥
घर के नक्षत्र को चार से गुणा कर नौ से भाग दो, जो लब्धि आवे यह घर की भुक्तराशि समझना चाहिये । यह घर की भुक्तराशि और घर के स्वामी की राशि परस्पर छट्ठी और आठवीं हो या दूसरी और बारहवीं हो तो अशुभ है ॥५६॥
वास्तुशास्त्र में राशि का ज्ञान इस प्रकार कहा है
"अश्विन्यादित्रयं मेष सिंह प्रोक्तं मघात्रयम् ।
मूलादित्रितयं चापे शेषभेषु द्वयं द्वयम् ॥" अश्विनी श्रादि तीन नक्षत्र मेषराशि के, मघा आदि तीन नक्षत्र सिंह राशि के और मूल आदि तीन नक्षत्र धनराशि के हैं । अन्य नौ राशियों के दो दो नक्षत्र हैं। वास्तुशास्त्र में नक्षत्र के चरण भेद से राशि नहीं मानी है। विशेष नीचे के गृहराशि यंत्र में देखो।
गृह राशि यंत्र
मेष वृष २ मिथुन ३कक सि: ५ कन्या'तुला कधि धन कम १९मीन १२
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अश्विनी रोहिणी प्रार्दा | पुष्य | मघा
शतभि
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भाद्र०
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कृत्तिका
| उत्तराफा • • • बता · | | .
उत्तराफा
षाढा
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