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पास्तुलारे
राजा प्रादि के पांच प्रकार के घरों का मान यंत्र
संख्या माप |राजा सेना | मंत्री युवराज अनुज राणी नैमित्तिक बैच परोहित
उत्तम विस्तार १०८ ६४ ६० ८०
| लंबाई |१३५/७५-१६ ६७-१२ १०६-१६" मध्य- विस्तार १००/५८
३३-१८४६-१६४६-१६४४६-१६"
५६
|७४
|३६
२४
सिंबाई १२५६७-१६६३
१८-१६५।४८
२७
विस्तार१२५२
६८
I
१०-१६५४२-१६०२०-६" । |३७-
८३७-
८३७-८"
६२
|२८
|१२
लंबाई
१०५५३-१६" ५४
८२-१६३७.८" |१३-१२/ ३२-१६०३२-१६०३२-१६"
| २४
नि.५ लंबाई | २४ ४६-१६० ४.१२° ४४-१६ ३२ ६.१८२८
लंबाई
१६ ३२
- २
पारों वर्षों के गृहमान
वराणचउक्कगिहेसु बत्तीस कराइ-वित्थरो भणियो । चउ चउ हीणो कमसो जा सोलस अंतजाईणं ॥४४॥ दसमंस-अट्टमंसं सडंस-चउरंस-वित्थरस्सहियं । . दीहं सवगिहाण य दिय-खत्तिय-वइस-सुदाणं ॥४५॥
प्रथम ३२ हाथ के विस्तारवाले ब्राह्मण के घर में से चार २ हाथ सोलह हाथ तक घटाओ तो क्रमशः क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और अंत्यज के घर का विस्तार होता है । अर्थात् ब्राह्मण के घर का विस्तार ३२ हाथ, क्षत्रिय जाति के घर का
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