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गृह प्रकरणम्
( २७ )
विस्तार २८ हाथ, वैश्य जाति के घर का विस्तार २४ हाथ, शुद्र जाति के घर का विस्तार २० हाथ और अंत्यज के घर का विस्तार १६ हाथ है । इन वर्गों के घरों के विस्तार का दशवां, आठवां, छट्ठा और चौथा भाग क्रम से विस्तार में जोड़ देवें तो सब घरों की लंबाई हो जाती है । अर्थात् ब्राह्मण के घर के विस्तार का दशवां भाग ३ हाथ और ४||| अंगुल जोड़ देवें तो ३५ हाथ और ४॥ अंगुल प्रामण के घर की लंबाई हुई । इसी प्रकार सब समझ लेना चाहिये । विशेष यंत्र से जानना ।।४४-४॥
चारों वर्ण के घरों का मान यंत्र
ब्राह्मण क्षत्रिय
वैश्य
शूद्र
अंत्यज
विस्तार
३२
२०
लंबाई ३५-४॥ ३१-१२ | २८ ।
२५
२०
घर के उदय का प्रमाण समरांगण में कहा है कि
"विस्तारात् षोडशो भागश्चतुर्हस्तसमन्वितः । तलोच्छ्यः प्रशस्तोऽयं भवेद् विदितवेश्मनाम् ॥ सप्तहस्तो भवेज्ज्येष्ठे मध्यमे षद् करोन्मितः ।
पञ्चहस्तः कनिष्ठे तु विधातव्यस्तथोदयः ॥" घर के विस्तार के सोलहवें भाग में चार हाथ जोड़ देने से जो संख्या हो, उतनी प्रथम तल की ऊंचाई करना अच्छा है । अथवा घर का उदय सात हाथ हों तो ज्येष्ठ मान का, छह हाथ हो तो मध्यम मान का और पांच हाथ हों तो कनिष्ठ मान का उदय जानना।
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