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वास्तुलारे
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गृह प्रवेश या गृहारंभ में शुभाशुभग्रह यंत्र
वार
मध्यम
जघन्य
रवि
१-४-७-१०.३.८-१२
सोम
१-४-७-१०-६-५-३-११
८-२-६-१२
मंगल
३-६-११
१-४-७-१०-२-८-१२
बुध
१-४-७-१०-६-५-३-११
२-६-८-१२
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गुरु
१-४-७-१०-६-५-३-११
२-६-८-१२
शुक्र
१-४-७-१०-६-५-३-११
२-६-८-१२
शनि
३-६-११
१-४--७-१०-२-८-१२
राहु केतु |
१-४-७-१०-२-८-१२
गृहों की संज्ञा
सूरगिहत्थो गिहिणी चंदो धणं सुक्कु सुरगुरु सुक्खं । जो सबलु तस्स भावो सबलु भवे नत्थि संदेहो ॥३१॥
सूर्य गृहस्थ, चन्द्रमा गृहिणी (स्त्री), शुक्र धन और बृहस्पति सुख है । इन में जो बलवान् ग्रह हो वह उनके भावों का अधिक फल देता है, इसमें संदेह नहीं
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