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गृह प्रकरणम्
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तिर्यस्मुखानि चादित्यं मैत्र ज्येष्ठा करत्रयम् । अश्विनी चान्द्रपौष्णानि कृषियात्रादिसिद्धये ॥ ऊर्ध्वास्यास्त्र्युत्तराः पुष्यो रोहिणी श्रवणत्रयम् ।
आर्द्रा च स्युजछत्राभिषेकतरुकर्मसु ॥" पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढा, पूर्वाभाद्रपदा, मूल, आश्लेषा, मघा, भरणी, कृत्तिका और विशाखा ये नव अधोमुख संज्ञक नक्षत्र खात आदि कार्य की सिद्धि के लिये हैं।
पुनर्वसु, अनुराधा, ज्येष्ठा, हस्त, चित्रा, स्वाति, अश्विनी, मृगशिर और रेवती ये नव तिर्यक्मुख संज्ञक नक्षत्र खेती यात्रा आदि की सिद्धि के लिये हैं।
। उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तराभाद्रपदा, पुष्य, रोहिणी, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा और आद्रा ये नव ऊर्ध्वमुख संज्ञक नक्षत्र ध्वजा छत्र राज्याभिषेक और वृक्ष-रोपन आदि कार्य के लिये शुभ हैं। नक्षत्रों के शुभाशुभ योग मुहूर्त चिन्तामणि में कहा है कि
"पुष्यध्रुवेन्दुहरिसर्पजलैः सजीवै--स्तद्वासरेण च कृतं सुतराज्यदं स्यात् । द्वीशाश्वितक्षिवसुपाशिशिवैः सशुक्र-वारे सितस्य च गृहं धनधान्यदं स्यात् ॥"
पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तराभाद्रपदा, रोहिणी, मृगशिरा, श्रवण, आश्लेषा और पूर्वाषाढा इन नक्षत्रों में से कोई नक्षत्र पर गुरु हो तब, या ये नक्षत्र और गुरुवार के दिन घर का आरम्भ करे तो यह घर पुत्र और राज्य देने वाला होता है।
विशाखा, अश्विनी, चित्रा, धनिष्ठा, शतभिषा और आर्द्रा इन नक्षत्रों में से कोई नक्षत्र पर शुक्र हो तब, या ये नक्षत्र और शुक्रवार हो उस दिन घर का प्रारम्भ करे तो धन और धान्य की प्राप्ति हो ।
"सारैः करेज्यान्त्यमघाम्बुमूलैः, कौजेऽहि वेश्माग्नि सुतादितं स्यात् ।
सझैः कदास्रार्यमतक्षहस्तै-ईस्यैव वारे सुखपुत्रदं स्यात् ॥"
हस्त, पुष्य, रेवती, मघा, पूर्वाषाढा और मूल इन नक्षत्रों पर मंगल हो तब, या ये नक्षत्र और मंगलवार के दिन घर का प्रारम्भ करे तो घर अमि से जल जाय और पुत्र को पीड़ा कारक होता है।
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