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गृह प्रकरणम्
घर का प्रारम्भ चैत्र मास में करे तो शोक, वैशाख में धन प्राप्ति, ज्येष्ठ में मृत्यु, आषाढ़ में हानि, श्रावण में अर्थ प्राप्ति, भाद्रपद में गृह शून्य, आश्विन में कलह, कार्तिक में उजाड़, मागसिर में पूजा-सन्मान, पौष में सम्पदा प्राप्ति, माघ में अग्नि भय और फाल्गुन में किया जाय तो सुखदायक है ॥२३॥ हीरकलश मुनि ने कहा है कि
"कत्तिय-माह-भद्दवे चित्त प्रासो य जिठ्ठ आसाढे ।
गिहारम्भ न कीरइ अवरे कल्लाणमंगलं ॥" -- कार्तिक, माघ, भाद्रपद, चैत्र, आसोज, जेठ और आषाढ़ इन सात महिनों में नवीन घर का आरम्भ न करे और बाकी के-मार्गशिर, पौष, फाल्गुण, वैशाख और श्रावण इन पांच महीनों में घर का प्रारम्भ करना मंगल-दायक है।
वसाहे मग्गसिरे सावणि फग्गुणि मयंतरे पोसे । सियपक्खे सुहदिवसे कए गिहे हवइ सुहरिद्धी ॥२४॥
वैशाख, मार्गशिर, श्रावण, फाल्गुण और मतान्तर से पौष भी इन पांच महीनों में शुक्ल पक्ष और अच्छे दिनों में घर का आरम्भ करे तो सुख और ऋद्धि की प्राप्ति होती है ।। २४ ॥ पीयूषधारा टीका में जगन्मोहन का कहना है कि
“पाषाणेष्टयादिगेहादि निंद्यमासे न कारयेत् ।
तणदारुगृहारंभे . मासदोषो न विद्यते ॥" पत्थर ईट आदि के मकान आदि को निंदनीय मास में नहीं करना चाहिये। किन्तु घास लकड़ी आदि के मकान बनाने में मास आदि का दोष नहीं है ।
मुहूर्तचिन्तामणि में लिखा है कि-चैत्र में मेष, ज्येष्ठ में वृषभ, आषाढ में कर्क, भादवे में सिंह, प्राचिन में तुला, कार्तिक में वृश्चिक, पौष में मकर और माघ में मकर या कुंभ का सूर्य हो तब पर कामारंभ करना अच्छा माना है।
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