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(१५)
वास्तुसारे
चैत्य ( देवालय) के प्रारम्भ में मीन आदि, गृहारंभ में सिंह आदि, जलाशय में भकर प्रादि और किला (गढ़ ) के आरम्भ में कन्या आदि तीन २ संक्रांतियों में राहु का मुख ईशान आदि विदिशा में विलोम क्रम से रहता है ।
शेष नाग (राहु ) मुख जानने का यंत्र
ईशान कोण वायव्य कोण नैर्ऋत्य कोण
अग्निकोण
देवालय
मीन, मेष, वृष, मिथुन, कर्क, के सूर्य में राहु सिंह के सूर्य में मुख
राहु मुख
कन्या, तुला, | धन, मकर, कुंभ वृश्चिक के सूर्य | के सूर्य में राहु में राहु मुख मुख
घर
सिंह, कन्या, ... वृश्चिक, धन, कुम्भ मीन. मेष | वृष, मिथुन, कर्क तुला के सूर्य में | मकर के सूर्य में | के सूर्य में राहु के सर्य में राहु राहु मुख राहु मुख मुख
मुख
जलाशय
मकर, कुम्भ,... | मेष, वृष, मिथुन कर्क सिंह, कन्या तुला, वृश्चिक मीन के सूर्य में | के सूर्य में राहु के सूर्य में राहु धन, के सूर्य में राहु मुख
राहु मुख
मुख
मुख
वृष, मिथुन, कर्क सिंह. कन्या,.. के सूर्य में राहु | तुला के सूर्य में मुख
राहु मुख
वृश्चिक, धन, कुम्भ, मीन, मेष मकर के सूर्य में के सूर्य में राहु राहु मुख मुख
किला
कन्या, तुला, .
धन, मकर, कुंभ मीन. मेष, वृष | मिथुन, कर्क, वृश्चिक के सूर्य | के सूर्य में राहु | के सूर्य में राहु | सिंह के सूर्य में मैं राहु मुख मुख मुख
राहु मुख
गृहारंभ में वृषम वास्तु चक्र
"गेहाघारंमेऽर्कभावत्सशीर्षे, रामैहो वेदभिरग्रपादे ।। शून्यं वेदैः पृष्ठपादे स्थिरस्व, रामैः पृष्ठे श्रीगैर्दचकुक्षौ ॥ १ ॥
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