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________________ वास्तुसारे 'गांधारी' नामकी दशवीं विद्यादेवी नील (आकाश ) वर्णवाली, कमल के आसनवाली, चार भुनावाली, दाहिनी भुजाओं में वरदान और मुसल तथा बाँयीं भुजाओं में अभय और वज्र को धारण करनेवाली हैं ॥ १० ॥ __ आचारदिनकर में कृष्ण वर्णवाली तथा मुसल और वज्र को धारण करनेवाली माना है। ग्यारहवीं महाज्वालादेवी का स्वरूप सर्वास्त्रमहाज्वाला धवलवर्णा वराहवाहनां असंख्यपहरणयुतहस्तां चेति ॥ ११॥ सर्वास्त्रादेवी नामान्तरे 'महाज्वाला नामकी ग्यारहवीं विद्यादेवी सफेद वर्णवाली, सुअर की सवारी करनेवाली और असंख्य शस्त्र युक्त हाथवाली है ॥ ११॥ ___ आचारदिनकर में विलाव की सवारी करनेवाली और ज्वालायुक्त दो हाथवाली माना है । शोभनमुनिकृत जिनचतुर्विंशतिका में वरालक का वाहन माना है। बारहवीं मानवीदेवी का स्वरूप मानवीं श्यामवर्णा कमलासनां चतुर्भुजां वरदपाशालंकृतदक्षिणकरां अचसूत्रविटपालंकृतवामहस्तां चेति ॥ १२॥ 'मानवी' नामकी बारहवीं विद्यादेवी कृष्ण वर्णवाली, कमल के आसनवाली, चार भुजावाली, दाहिनी भुजा वरदान और पाश तथा बाँयीं भुजा माला और वृक्षयुक्त सुशोभित है ॥ १२॥ आचारदिनकर में नील वर्णवाली, नीलकमल के आसनवाली मौर वृनयुक्त हाथवाली माना है। तेरहवीं वैरोट्यादेवी का स्वरूप - वैरोव्यां श्यामवर्णा अजगरवाहनां चतुर्भुजा खगोरगालंकृतदक्षिण करां खेटकाहियुतवामकरां चेति ॥ १३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002673
Book TitleVastusara Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1936
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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