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सोलह विद्यादेवी का स्वरूप
____ 'काली' नामकी विद्यादेवी कृष्ण वर्णवाली, कमल के आसनवाली, चार भुजावाली, दाहिनी भुजाओं में अक्षमाला और गदा तथा बाँयीं भुजाओं में वज्र और अभय को धारण करनेवाली है ॥ ७ ॥
आचारदिनकर में गदा और वज्रयुक्त दो हाथवाली माना है । आठवीं महाकालीदेवी का स्वरूप
महाकाली देवीं तमालवर्णा पुरुषवाहनां चतुर्भुजां अचसूत्रवान्वितदक्षिणकरामभयघण्टालंकृतवामहस्तां चेति ॥ ८ ॥
'महाकाली' नामकी विद्यादेवी तमाखू के जैसी वर्णवाली, पुरुष की सवारी करनेवाली, चार भुजावाली, दाहिनी भुजाओं में अक्षमाला और वज्र तथा बाँयीं भुजाओं में अभय और घंटा को धारण करनेवाली है ॥ ८ ॥
___ आचारदिनकर में सफेद वर्णवाली, दाहिनी भुजाओं में माला और फल तथा बायीं भुजाओं में वज्र और घंटा को धारण करनेवाली माना है। किन्तु शोभनमुनिकृत जिनचतुर्विशति का में 'धृतपविफलाक्षालीघण्टैः करैः' अर्थात् वज्र, फल, माला और घंटा को धारण करनेवाली माना है। नववीं गौरीदेवी का स्वरूप
__गौरी देवी कनकगौरी गोधावाहनां चतुर्भुजां वरदमुसलयुतदक्षिणकरामक्षमालाकुवलयालंकृतवामहस्तां चेति ॥८॥
'गौरी' नामकी विद्यादेवी सुवर्ण वर्णवाली, गोह ( विषखपरा ) की सवारी करनेवाली, चार भुज बाली, दाहिनी भुजाओं में वरदान और मुसल तथा बाँयीं भुजाओं में माला और कमल को धारण करनेवाली है ।।।।
आचारदिनकर में सफेद वर्णवाली और कमल को धारण करनेवाली माना है। दसवीं गांधारीदेवी का स्वरूप
गांधारीदेवी नीलवर्णा कमलासनां चतुर्भुजां वरदमुसलयुतदक्षिणकरां अभयकुलिशयुतवामहस्तां चेति ॥ १० ॥
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