________________
सोलह विद्यादेवी का स्वरूप । प्रथम रोहिणीदेवी का स्वरूप
आद्यां रोहिणीं धवलवर्णा सुरभिवाहनां चतुर्भुजामक्षसूत्रवाणान्वितदक्षिणपाणिं शङ्खधनुर्युक्तवामपाणिं चेति ॥१॥
प्रथम 'रोहिणी' नामक विद्यादेवी सफेद वर्णवाली, कामधेनु गौ पर सवारी करनेवाली, चार भुजावाली, दाहिनी दो भुजाओं में माला और वाण तथा बाँयीं भुनाओं में शंख और धनुष को धारण करनेवाली है ॥ १॥ दूसरी प्रज्ञप्तिदेवी का स्वरूप
प्रज्ञप्तिं श्वेतवर्णा मयूरवाहनां चतुर्भुजां वरदशक्तियुक्तदक्षिणकरा मातुलिंगशक्तियुक्तवामहस्तां चेति ॥२॥
'प्रज्ञप्ति' नामकी विद्यादेवी सफेद वर्णवाली, मोर पर सवारी करनेवाली, चार भुजावाली, दाहिनी दो भुजाओं में वरदान और शक्ति तथा बाँयीं भुजाओं में बीजोरा और शक्ति को धारण करनेवाली है ॥ २॥
आचारदिनकर में दो हाथवाली माना है, एक हाथ में शक्ति और दूसरे हाथ में कमल धारण करनेवाली माना है। तीसरी वज्रशृङ्खलादेवी का स्वरूप
वज्रशृंखलां शंखावदातां पद्मवाहनां चतुर्भुजा वरदश्रृंखलान्वितदक्षिणकरां पद्मशृंखलाधिष्ठितवामकरां चेति ॥ ३॥
'वज्रशृंखला' नामकी विद्यादेवी शंख के जैसी सफेद वर्णवाली, कमल के आसनवाली, चार भुजावाली, दाहिनी दो भुजाओं में वरदान और साँकल तथा बाँयीं भुजाओं में कमल और साँकल को धारण करनेवाली है ॥ ३॥
आचारदिनकर में सुवर्ण वर्णवाली और दो भुनावाली, एक हाथ में साँकल और दूसरे हाथ में गदा धारण करनेवाली माना है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org