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वास्तुसारे चौथी वांकुशी देवी का स्वरूप
वज्राङ्कुशां कनकवर्णा गजवाहनां चतुर्भुजां वरदवज्रयुतदक्षिणकरां मातुलिङ्गाङ्कुशयुक्तवामहस्तां चेति ॥ ४ ॥
_ 'वज्रांकुशा' नामकी विद्यादेवी सुवर्ण के जैसी कान्तिवाली, हाथी की सवारी करनेवाली, चार भुनावाली, दाहिनी दो भुजाओं में वरदान और वन तथा बाँयीं भुजाओं में बीजोरा और अंकुश को धारण करनेवाली है ॥ ४ ॥
___ आचारदिनकर में चार हाथ क्रमशः तलवार, वज्र, ढाल और भाला युक्त माना है। पांचवीं अप्रतिचक्रादेवी का स्वरूप
अप्रतिचक्रां तडिद्वर्षा गरुडवाहनां चतुर्भुजां चक्रचतुष्टयभूषितकरां चेति ॥५॥
'अप्रतिचक्रा' नामकी विद्यादेवी बीजली के जैसी चमकती हुई कान्तिवाली, गरुड की सवारी करनेवाली और चारों ही भुजाओं में चक्र को धारण करनेवाली है।। ५॥ छट्ठी पुरुषदत्तादेवी का स्वरूप
पुरुषदत्तांकनकावदातांमहिषीवाहनां चतुर्भुजां वरदासियुक्तदक्षिणकरां मातुलिङ्गखेटकयुतवामहस्तां चेति ॥ ६ ॥
'पुरुषदत्ता' नामकी विद्यादेवी सुवर्ण के जैसी कान्तिवाली, भैंस की सवारी करनेवाली, चार भुजावाली, दाहिनी भुजाओं में वरदान और तलवार तथा बाँयीं भुजाओं में बीजोरा और ढाल को धारण करनेवाली है ॥ ६ ॥
आचारदिनकर में तलवार और ढाल युक्त दो हाथवाली माना है । सातवीं कालीदेवी का स्वरूप
काली देवीं कृष्णवर्णी पद्मासनां चतुर्भुजां अक्षसूत्रगदालंकृतदक्षिणकरा वजाभययुतवामहस्तां चेति ॥७॥
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