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वास्तुसारे उनके तीर्थ में 'कालिका' नामकी यक्षिणी कृष्णवर्ण की, पद्म ( कमल ) पर बैठी हुई, चार भुजावाली दाहिनी दो भुजाओं में वरदान और फांसी, बॉयीं दो भुजाओं में नाग और अंकुश को धारण करनेवाली है ॥ ४ ॥ पांचवें सुमतिनाथजिन और उनके यक्ष यक्षिणी का स्वरूप
तथा पञ्चमं सुमतिजिनं हेमवर्ण क्रौञ्चलाञ्छनं मघोत्पन्नं सिंहराथि चेति । तत्तीर्थोस्पन्नं तुम्बरुयक्षं श्वेतवर्ण गरुडवाहनं चतुर्भुजं वरदशक्तियुतदक्षिणपाणिं नागपाशयुक्तवामहस्तं चेति । तस्मिन्नेव तीर्थे समुत्पन्नां महाकाली देवीं सुवणेवी पद्मवाहनां चतुर्भुजां वरदपाशाधिष्ठितदक्षिणकरां मातुलिङ्गाङ्कुशयुक्तवामभुजां चेति ॥ ५ ॥
सुमतिनाथजिन नामके पांचवें तीर्थकर हैं, उनके शरीर का वर्ण सुवर्ण वर्ण का है, क्रौंच पक्षी का लाञ्छन है, जन्म नक्षत्र मघा और सिंह राशि है।
__उनके तीर्थ में 'तुंवरु' नामका यक्ष सफेद वर्ण का, गरुड़ पर सवारी करने वाला, चार भुजावाला, दाहिनी दो भुजाओं में वरदान और शक्ति, 'बाँयीं दो भजात्रों में नाग और पाश को धारण करनेवाला है।
उनके तीर्थ में 'महाकाली' नामकी देवी सुवर्ण वर्णवाली, कमल का बाइन वाली, चार भुजावाली, दाहिनी दो भुजाओं में वरदान और पाश, बाँयीं दो भुजाओं में बीजोरा और अंकुश को धारण करनेवाली है ॥ ५॥ छटे पद्मप्रभजिन और उनके यक्ष यक्षिणी का स्वरूप
तथा षष्ठं पद्मप्रभं रक्तवर्ण कमललाञ्छनं चित्रानक्षत्रजातं कन्याराशिं चेति। तत्तीर्थोत्पन्न कुसुमं यक्ष नीलवर्ण कुरङ्गवाहनं चतुर्भुज फलाभययुक्तदक्षिणपाणिं नकुलाचसूत्रयुक्तवामपाणिं चेति । तस्मिन्नेव तीर्थे समुत्पन्नामच्युता देवीं श्यामवर्णा नरवाहनां चतुर्भुजां वरदवाणान्वितदक्षिण करा कामु काभययुतवामहस्तां चेति ॥ ६॥
पद्मप्रभ नामके छठे तीर्थकर हैं, उनके शरीर का वर्ण लालवर्ण का है, कमल का लाञ्छन है, जन्म नक्षत्र चित्रा और कन्या राशि है।
१ प्रवचनसारोद्धार आचारदिनकर और निषष्टीचरित्र में बायीं दो भुजाओं में शस्त्र गदा और
मागपाश मामा है।
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