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छाय
समतल भूमि पर दो हाथ के विस्तार वाला एक गोल चक्र करना और इस गोल के मध्य केन्द्र में बारह अंगुल का एक शंकु स्थापन करना। पीछे सूर्य के उदयार्द्ध में देखना, जहां शंकु की छाया का अंत्य भाग गोल की परिधि में लगे वहां एक चिह्न करना, इसको पश्चिम दिशा
दिशा साधन यंत्र समझना। पीछे सूर्य के अस्त समय देखना, जहां शंकु की छाया का अंत्य भाग गोल की परिधि में लगे वहां दुसरा चिह्न करना, इसको पूर्व दिशा समझना। पीछे पूर्व और पश्चिम दिशा तक एक सरल रेखा खींचना। इस रेखा तुल्य व्यासार्द्ध मानकर एक पूर्व बिंदु से और दसरा पश्चिम बिंद से ऐसे दो गोल खींचने से पूर्व पश्चिम रेखा पर एक मत्स्याकृति ( मछली की आकृति ) जैसा गोल बनेगा। इसके मध्य बिंदु से एक सीधी रेखा खींची जाय जो गोल के संपात के मध्य भाग में लगे, जहां ऊपर के भाग में स्पर्श करे यह उत्तर दिशा और जहां नीच भाग में स्पर्श करे यह दक्षिण दिशा समझना ॥६॥
टसिप
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छामा
जैसे-'उ ए' गोल का मध्य बिन्दु 'अ' है, इस पर बारह अंगुल का शंकु स्थापन करके सूर्योदय के समय देखा तो शंकु की छाया गोल में 'क' बिन्दु के पास प्रवेश करती हुई मालूम पड़ती है, तो यह 'क' बिन्दु पश्चिम दिशा समझना
और यही छाया मध्याह्न के बाद 'च' बिन्दु के पास गोल से बाहर निकलती मालूम होती है, तो यह 'च' बिन्दु पूर्व दिशा समझना। पीछे 'क' विन्दु से 'च' बिन्दु तक एक सरल रेखा खींचना, यही पूर्वा पर रेखा होती है। यही पूर्वा पर रेखा के
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