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वास्तुसारे
मंदिर की द्वारशाखा, देहली और शंखावटी का स्वरूप
पंचगाखा
समशाररा
सतशाता
اسمه لمه سی تی
मानवावा
पा
शाखा
सात गारवा
नर शाखा
वारसा
पंच शाखा
मत शाखा
----देडली भाग
वासभा-11 मंधारकमा माम भा..]
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इनका सविस्तर वर्णन प्रासादमंडन जो अब अनुवाद पूर्वक छपनेवाला है उसमें देखो | अहमदाबाद वाले मिस्त्री जगन्नाथ अंबाराम सोमपुरा का लिखा हुआ महा शुद्ध बृहद् शिल्पशास्त्र में देहली और शंखावटी के नकशे का भाग अशुद्ध लिखा है। मिस्त्रीजी खुद भाषा में तीन भाग लिखते हैं, और नकशे में चार भाग बतलाते हैं । मालूम होता है कि मिस्त्रीजी ने कुछ नशा करके पुस्तक लिखी होगी ।
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