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(१०६)
वास्तुसारे
पांच थर युक्त महापीठ का स्वरूप
काय कराया जा सकता किमान यासपहा.
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सिरीविजयो महापउमो नंदावतो अ लच्छितिलओ अ। नरवेअ कमलहंसो कुंजरपासाय सत्त जिणे ॥५॥
श्रीविजय, महापद्म, नंद्यावर्त, लक्ष्मीतिलक, नरवेद, कमलहंस और कुंजर ये सात प्रासाद जिन भगवान के लिये उत्तम हैं ॥ ५ ॥
बहुभेया पासाया अस्संखा विस्सकम्मणा भणिया । तत्तो श्र केसराई पणवीस भणामि मुलिल्ला ॥ ६ ॥
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