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भिक्षुन्यायकर्णिका अस्तित्वेन कस्यचिद् वस्तुनो नास्तित्वं साधयति स खलु भावात्मको हेतुः
प्रतिषेधस्य साधको हेतुः। यथा- नास्ति सर्वथा एकान्तः अनेकान्तस्य उपलंभात्।
अत्रानेकान्तस्योपलब्ध्या एकान्तस्य नास्तित्वं साधितमिति भावात्मको हेतुः
अभावस्य साधकोऽत्र बोध्यः । अभावेन प्रतिषेधहेतव :- नात्र पुस्तकम्,
दृश्यानुपलब्धेः। अन्यानि
उदाहरणनि स्वयं बोध्यानि'। अभावात्मक प्रतिषेधसाधकहेतु- अपने नास्तित्व
से वस्तु के नास्तित्व को सिद्ध करने वाले हेतु अभावात्मक प्रतिषेधसाधक हेतु कहलाते हैं। यहाँ पुस्तक नहीं है क्योंकि यहाँ कोई भी दृश्य वस्तु उपलब्ध नहीं है। यहाँ दृश्य वस्तु के अभाव से पुस्तक के अभाव की सिद्धि की गई है। विधि, प्रतिषेध के अन्य उदाहरण स्वयं ज्ञातव्य है :
1. देखें परिशिष्ट 1/1
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