________________
तृतीयो विभागः
७९
यहाँ एकान्तस्वभाव की अनुपलब्धि से वस्तु की अनेकान्तता सिद्ध की
गई है। अभावेन विधिहेतवः-यो हेतुः स्वकीयनास्तित्वेन
कस्यचिद्वस्तुनः अस्तित्वं साधयति स हि अभावात्मको विधिसाधको हेतुरित्युच्यते। वस्तु अनेकान्तात्मकं भवति यतो हि तस्य एकान्तस्वभावो नोपलभ्यते। अत्र एकान्त स्वभावस्यानुपलब्ध्या वस्तुनोऽनेकान्तता साध्यते।
3.. भावेन प्रतिषेधहे तव :- नास्त्येव सर्वथैकान्तः
अनेकान्तस्योपलम्भात्। भावात्मक प्रतिषेधसाधकहेतु- जो हेतु अपने
अस्तित्व से वस्तु के नास्तित्व को सिद्ध करते हैं वे भावात्मक प्रतिषेधसाधकहेतु कहलाते हैं, जैसे सर्वथा एकान्त नहीं है। क्योंकि वस्तु में अनेकान्त स्वभाव उपलब्ध है। यहाँ अनेकान्त की उपलब्धि से एकान्त
के नास्तित्व की सिद्धि की गई है। न्या. प्र.-भावेन प्रतिषेधहेतवः- यो हेतुः स्वकीयेन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org