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________________ ५१६ आदर्श जीवन । छगनलाल पानाचंद मास्तरना १००८ वार वंदना अव धारशोजी. रतनचंद जीवराज नवलाजीनी वंदना अवधारशोजी । सहसमल्ल हंसाजीनी वंदना अवधारशो. मुंबई. १७-१२-२४ द० सेवक मणिलाल त्रिकमनी वंदना १००८ वार अवधारशोजी, घणा वर्षोथी, आचार्य पदवीनी झांखी करतो हतो परमा तेज पदवी में जोई नहींने हुं हाजिर नहिं तेने माटे तो घणीज दिलगीरी थई हती, पण आचार्य पदवी आप्याना समाचार थी घणोज आनंद थयो छे । (३०) घाणेराव २१-१२-२४ सव सद्गुणालंकृत परम पूज्य-पवित्र-परम माननीय, प्रातः स्मरणीय, जैनशासनोन्नत्ति कारक श्रीमान् विजयवल्लभमूरि महाराज साहेबनी पवित्र सेवामां वि. वि. लखवानुं के आपनी कुशलता चाहुं हुं बीजु लखवानुं के "जैनपत्र" नी अंदर मांगलिक समाचार वांचीने हुँ घणो खुशी थयो छु, म्हारी वत्ती श्रीमान् उपाध्यायजी महाराज आदि समस्त मुनि महाराजने १००८ वार वंदणा जणावशोजी, एज. म्हारा लायक कार्य सेवा फरमावशोजी। द० सेवक गिरधर देवचंदनी वंदना मान्य करशोजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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