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________________ आदर्श जीवन। (३१) ता० २५-१२-१९२४ जंबुसर जैनाचार्य श्री १००८ श्रीमद् विजयवल्लभ मूरिनी पवित्र सेवामां मुः लाहोर, श्रीजैन धर्मोद्धारक परम पूज्य आचार्य महाराज श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वर जीना सदगत बाद अनेक परिषहो सहन करी पंजाब जेवा विकट प्रदेशमा विचरी जैनधर्मनी ज्योत प्रकाशीत करवा आपे करेलो अथाग श्रम माटे अत्रेनो संघ आभार माने छे.आपनो उपरोक्त परिश्रम तथा विशुद्ध चारित्र तथा संपूर्ण लायकातनो विचार करी पंजाबना समस्त संघे आप श्रीने जैनाचार्यनी पदवीथी विभूषित करवानुं शुभ पगलं भर्यु छे ते तद्दन प्रशंसनीय छे' अने अत्रेनो संघ तेने अंतःकरणना अवाजथी वधावी ले छे, परन्तु एथी विशेष आपने आचार्य पदवी थी विभूषित करवायूँ कहेतां आप आपना वडीलो तरफ जेवाने तेवाज पूज्यभाव राखवानी बतावेली इच्छाए आपना तद्दन सरस परिणामी अने निरभिमानी पणानो आबेहूब चितार बताव्यो छे. आपनी ए शुभ भावना माटे अत्रेनो संघ आपनो अंतःकरण पूर्वक आभार माने छ । ली० श्री जंबुसर जैन संघ तरफथी सेवक जगमोहन मंगलदास शाह नी वंदणा स्वीकारशोजी. काशी विश्वविद्यालय होसल न० ४।४१ ता०४-१-२५ पूज्यपाद आचार्य श्रीनी सेवामा ( लाहोर ) सादर वंदना. आप आचार्य पदवी पर बिराज्या सांभळी आजे मने जेटलो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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