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आदर्श जीवन।
श्री मुंबई बंदर थी ली. चीमनलाल जी प्रतापजी विगेरे नां १००८ वार वंदना अवधारशोजी ।
विशेष आपे मगशर शुद ५ रोज आपनी इच्छा न होवा छतां अनेक मुनिवर्य अने श्रावक समुदायना आग्रह थी आचार्य पद अंगिकार कया ना समाचार सांभळी अमो अति आनंदित थया छीए।
- चीमनलाल नी वंदना. मगसर सुदि १० शुक्रवार द० सेवक छगनलाल पानाचंद नी १००८ वार वंदना अवधारशो जी।
(२१)
मुंबई.
ता० ११-१२.२४ स्वति श्री लाहोर महा शुभ स्थाने पुज्याराधे परम पुज्य ......शासनोद्धारक जैन धर्म प्रवतेक एवा अनेक गुणे करी विराजमान श्री मद् आचार्य श्री विजयवल्लभ मूरि महाराज तथा आदि मुनि महाराज समस्त जोग श्री मुंबई थी ली. आपना दर्शनाभिलाषी आपना चरणकमलनी सेवा ना अभिलाषी सेवक खंभातवाळा (चोकशी) कस्तूरचंद मगनलाल तथा आपना सेवक उजमसी नी वंदना १००८ वार अवधारशो जी.
अने आप साहिबनी आचार्य पदवी ना सयाचार सांभळी अत्यानंद थयो छे... " आपना सेवक कस्तूर नी वंदना १००८ अवधारशोजी'
'मगशर शुद १५ गुरुवार....
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