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________________ आदर्श जीवन । - (१९) मुंबई. १-१२-२४. परम पुज्य परमोपकारी सदगणालंकृत श्रीमद् मुनि महाराज श्री १००८ श्री वल्लभविजयजी नी पवित्र सेवा मां मु० लाहोर। __ ली. मुंबई थी श्रावक लल्लु भाई गुलाबचंद हरिचंद मगन लाल ना सविनय १००८ वार वंदना स्वीकारशो........... वळी आप जेवा परमोपकारी अनेक शुभ गुणालंकृत प्रातः स्मरणीय मुनिराज ने आजना मांगलीक दीवसे श्रीजैन शासन ना. स्थंभ रूप श्रीमद जैनाचार्य नी पदवी श्री लाहोर ना संघे आपवानी जे उत्तम तक मेळवी छे, ते जाणी अमोने अत्यंत आनंद थयो छे, आप श्री जेवा उत्तम चरित्र ना धारनार गुणी मुनि राज ने जैनाचार्यनी पदवी आपवा मां आवी छे ते घjज योग्य थयुं छे. आ समाचार जाणी अत्रे सर्व ने घणो आनंद थयो छे, परमात्मा प्रत्ये अमारी एटलीज प्रार्थना छे के आप श्री जेवा गुणी अने परमोपकारी मुनि राज दीर्घायुष्य भोगवी जैन शासन नी कीर्तिमां वधारो करे. अस्तु ! द० मगनलाल ना १००८ वार सविनय वंदना अवधारशोजी (२०) श्री पार्श्वजिन प्रणम्य श्री लाहोर नगरे, शांत दांत त्यागी वैरागी शासनोद्धारक आदि अनेक शुभ गुणालंकृत पूज्य आचार्य महाराज श्री श्री १००८ श्री विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज आदि समस्त ठाणा नी पवित्र सेवा मां योग्य, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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