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________________ ४९२ आदर्श जीवन। AADHAA चरणों में विनय पूर्वक निहायत आदाब से वंदना नमस्कार मालूम हो, प्रतिष्ठा का हाल सुनकर दिलको बहुत आनंद और खुशी हुई और मुझको यह सुनकर और अजहद खुशी हुई कि श्रीसंघ पंजाब ने आपको ही अपनी सर परस्ति के लिए आचार्य पदवी और सोहनविजयजी महाराजको उपाध्याय पदवी दी है, बेशक आप इसी लायक हैं। तोताराम दीनदयाल दुर्गादास की तरफसे आपके चरणोंमें नमस्कार पहुचे। २१-मग्गर--१९८१ (१३) रियास्त, मलेरकोटला मुन्शी करीमबखश। ता. ७-१२-२४ १००८ श्री श्री श्री श्री श्री, श्रीमद् विजयवल्लभ मूरि धर्माचार्यजी महाराजके पवित्र चरणों में इस दास की विनंती मंजूर होवे, मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो कि हुजूर के कमल चरणोंसे आचार्य पदवी की गद्दी फेज़याब हुई तमाम दुनिया को उसकी खुशी है । (१४) श्री २४५१ सि० श्री लाहोर महा शुभस्थाने पूज्य परमदयाल ज्ञान सागर पंचाचार पालक षट्त्रिंश गुणे करी सुशोभित श्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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