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________________ आदर्श जीवन । मारुज आंके, आप श्रीजीने आचार्यपद की गद्दी को ज़ीनत बखश कर सब पर बहुत महरबानी की है, हम आपके अज़हद मशकूर हैं और आपको बहुत बहुत मुबारकवाद देते हैं और शासन देवता से दुआ करते हैं कि आप श्रीकी जिन्दगी बहुत लम्बी हो, और जैनसमाज और जैनशासन की दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर सकें। ( ११ ) पूज्य मान्यवर गुरुजी विजयवल्लभसूरिजी की पवित्र सेवा में नागपुर से प्यारेलाल की वन्दना स्वीकृत हो, कुछ दिन हुए भाई दौलतराम का पत्र मिला था, जलसे का तमाम हाल मालूम हुवा, और आपको आचार्यपद से भाइयों ने विभूषित किया समाचार पढ़कर अत्यंत हर्ष हुवा, और इस दास की तरफ से बधाई स्वीकृत हो । भवदीय दासानुदास प्यारेलाल जैन Jain Education International ( १२ ) ४९१ पटियाला, नथुरामजैनी अग्रवाल । श्रीमान् पूज्य श्री १००८ श्री श्री आचार्य महाराज श्री मुनि वल्लभविजयजी महाराज वा श्री उपाध्यायजी महाराज श्री श्री मुनि सोहनविजयजी महाराज और सब मुनि राजगान के For Private & Personal Use Only १७-१२-२४ www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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